दुनिया से मैं हारा हूँ

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दुनिया से मैं हारा हूँ, तक़दीर का मारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो, मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

पापों की गठरी ले फिरता मारा मारा,
नहीं मिलती है मंजिल,नहीं मिलता किनारा,
नहीं कोई ठिकाना है,मैं तो बेरसहारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

दुनिया से जो माँगा मिलती रुसवाई है,
तेरे दर पे सुनते हैं होती सुनवाई है,
दुःख दूर करो मेरे,मैं भी दुखियारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

कोशिश करते करते नहीं नांव चला पाया,
आखिर में थक करके तेरे द्वार पे हूँ आया,
इस श्याम को तारो प्रभु,तुझे दिल से पुकारा हूँ,
जैसा भी हूँ अपना लो,
मैं बालक तुम्हारा हूँ ।

दुनिया से मैं हारा हूँ,
तक़दीर का मारा हूँ ।

 

 

I am defeated by the world, I am the slain of fate,
Take it as I am, I child is yours.
Carrying the bundle of sins, he was beaten and killed.
Do not get the destination, do not get the edge,
No, there is no place, I am helpless,
Take it as I am
I am your child.
Ruswai gets what the world asks for,
There is hearing at your rate,
Take away my sorrow, I am also sad,
Take it as I am
I am your child.
Couldn’t drive the boat while trying,
At last I am tired and come to your door.
Taro Lord, I have called this shyam from your heart,
Take it as I am
I am your child.
I’m lost to the world
I have killed fate.

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