गुड़ और चने का संतोषी माँ को भोग लगा के देख,
भाग्य जागेंगे तेरे भी प्राणी , माँ को मना के देख ,
गुड़ और चने का संतोषी माँ को भोग लगा के देख
माँ के परशाद की महिमा है एसी जग में बड़ी है निराली,
जो भी खाए और दूजो को खिलाये उस की मीठी हो वाणी,
मन में संतोष पा ले तू भी तो प्राणी,
तू भी ग्रहन करके देख,
गुड़ और चने का संतोषी माँ को भोग लगा के देख
हर इक दाने में बात है एसी खोले जो किस्मत के ताले,
सयंम भाव जो मन में व्साए उस के दिन हो निराले,
माई संतोषी दर पे कहता ये शंकर सिर को झुका कर के देख,
गुड़ और चने का संतोषी माँ को भोग लगा के देख
Seeing Santoshi Maa offering jaggery and gram,
Luck will wake up your creatures too, seeing the mother forbidding,
Seeing Santoshi Maa offering jaggery and gram
The glory of mother’s blessings is great in this world.
Whoever eats and feeds others, his speech is sweet,
If you find satisfaction in your mind, you are also a creature.
You also take it and see,
Seeing Santoshi Maa offering jaggery and gram
It is a matter of every single grain, that the ACs that open the locks of luck,
The sense of restraint which is in the mind on that day is unique,
At my Santoshi rate, this Shankar says with bowing his head and see,
Seeing Santoshi Maa offering jaggery and gram