मेरे पाप ही ज्यादा पुण्य है कम श्री राधे वसा लो वृन्दावन,
श्री राधे वसा लो वृन्दावन,
मेरे पाप ही ज्यादा पुण्य है कम
विशियो की आँधी आती है सब पुण्य नष्ट कर जाती,
अब किसको कहु मेरे बीते जनम श्री राधे,
श्री राधे वसा लो वृन्दावन………
जिनकों मैं अपना कहता हु जिनके अंग संग में रहता हु ,
वही रिश्ते बिगड़े मेरे कर्म,
श्री राधे वसा लो वृन्दावन,
हे सर्वेश्वरी किरपा करदो करुणाकर झोली भर दो ,
अब तो रखो मुझे अपनी शरण,
श्री राधे वसा लो वृन्दावन,
My sins are more virtuous, take less Shri Radhe fat, Vrindavan,
Shri Radhe Vasa take Vrindavan,
my sin is more virtue less
Visio’s storm comes and destroys all virtues,
Whom should I tell now, my last birth Mr. Radhe,
Shri Radhe Vasa Lo Vrindavan………
Whom I call mine, whose parts I live with,
The same relationship spoiled my karma,
Shri Radhe Vasa take Vrindavan,
O Sarveshwari Kirpa, fill the bag with compassion,
Now keep me your refuge,
Shri Radhe Vasa take Vrindavan,