कोई फर्क न दोनों में ना राधा में ना श्याम में,
श्याम वसे राधा में और राधा वस्ती श्याम में,
देख ने वाले तो है कहते इक दूजे को दिल में वो रहते,
दोनों खोये रहते है बस इक दूजे के नाम में,
श्याम वसे राधा में और राधा वस्ती श्याम में,
हर रूप में नजर वो आते जिस भाव से देखना चाहते ,
सब में राधा कृष्ण समाये क्या सीता क्या राम में,
श्याम वसे राधा में और राधा वस्ती श्याम में,
देखा न कही प्रेम है ऐसा संदीप जालंधरी इनके जैसा,
राधा का दिल लगता नहीं अब किसी काम में,
श्याम वसे राधा में और राधा वस्ती श्याम में,
There is no difference between the two, neither in Radha nor in Shyam,
In shyam vasi radha and radha vasti in shyam,
Those who see them say that they live in each other’s heart,
Both are lost just in the name of each other,
In shyam vasi radha and radha vasti in shyam,
They are seen in every form, in whichever way they want to be seen,
Is Radha Krishna in everyone, what Sita is in Ram,
In shyam vasi radha and radha vasti in shyam,
Have you ever seen love like this Sandeep Jalandhari?
Radha’s heart does not seem to be in any work now,
In shyam vasi radha and radha vasti in shyam,