देखा लखन का हाल तो श्री राम रो पड़े ।
अंगत सुग्रीव जामवंत बलवान रो पड़े ॥
लंका विजय की अब मुझे, चाहत नहीं रही ।
मुझमें धनुष उठाने की, ताकत नही रही ।
रघुवर के साथ धरती, आसमान रो पड़े ॥
करने लगे विलाप, श्री राम फुटकर ।
क्या मै जवाब दूँगा, अयोध्या में लौटकर ।
जितने थे मन में राम के, अरमान रो पड़े ॥
सुग्रीव जामवंत, सुनो ऐ अंगद बलवान ।
लछमण नहीं बचा तो, तग दूँगा मै भी प्राण ।
धरती पे जो पड़ा था, धनुषबाण रो पड़े ॥
देखा जो जामवंत ने, तो हनुमान उड़ गए ।
सूर्योदय से ही पहले, बूटी ले मुड़ गए ।
गले लगा हनुमान को भगवान रो पड़े ॥स्वरलखबीर सिंह लक्खा
Seeing the condition of Lakhan, Shri Ram cried.
Angat Sugriva Jamwant Balwan wept.
I no longer wanted Lanka victory.
I did not have the strength to lift the bow.
Earth, sky wept with Raghuvar.
Started lamenting, Shri Ram retail.
Shall I answer, returning to Ayodhya.
As much as there was Ram in his mind, Armaan cried.
Sugriva Jamwant, listen, O Angad, the mighty one.
If Lachman is not saved, I will give my life too.
Whoever was lying on the earth, the bow and arrow cried.
Hanuman saw what Jamwant saw.
Before sunrise, they took the booty and turned.
God wept when Hanuman hugged Swarlakhbir Singh Lakha