माहरी था पर दरामदर

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माहरी था पर दारमदार,
में तो थारी एक मोटर गाड़ी,थे चलावन हार,
उतर चलाओ पूरब चलाओ,म कद करू इनकार
माहरी ….

में तो थारी एक आंटी लकड़ी,थे हो चतुर सुथार ,
लेकर हाथ बरसोलो मोहन,करो खुसी से वार,
म्हारी…..

में तो थारी एक सोने री डगलि,थे हो सरवनकार,
काटो पीटो  घसो तपाओ,खोटी खरी तिहार,
म्हारी……

में तो थारी राम फिरकली,थे हो फेरन हार,
उल्टी फेरो सुलटी फेरो,चालू चकरा चार,
म्हारी….

में थारी माटी री डगलि थे हो चतुर कुम्हार,
रूप बनो कतरूप बनाओ,में कद करू इनकार,
माहरी…..

सब पुरुषा रा थे पुरषोतम में हु मूरख गवार,
आखिर उमर निभाया सरसी,था पर सगलो भार,
माहरी…..

संपादक:-विजय डिडवानिया
सरदारशहर

was mahri but daramdar,
I had a motor car, the driving necklace,
Drive down, drive east, I will refuse
Mahi ….

I was an Aunt Wood
Take your hands, Mohan, do it with happiness,
my…..

I was like a goldsmith, were you Sarvankar,
Cut, beat, heat
my……

I was Thari Ram Phirkali, the ho pheran necklace,
vomit ferro sulti ferro
my….

I was a clever potter,
Be a form, make a figure, I refuse to grow,
Mahi…..

I am a foolish cowherd in all Purusha Ra.
After all, Omar played the sarsi, but had a good burden,
Mahi…..

Editor :- Vijay Didwania
Sardarshahr

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