भोला के 40 रूपये

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भोला अपनी बहन के साथ गांव में मिट्टी के मटके बनाने का काम करता था ।भोला 12 साल का था उसकी बहन 15 साल की थी।
मां-बाप बचपन में ही गुजर जाने के कारण बहन ने हीं भोला को मां-बाप का प्यार दिया था ।बहन भाई में बहुत प्यार था। भोला और उसकी बहन नदी के किनारे से मिट्टी उठाते और बड़ी ही मेहनत से मिट्टी के मटके बनाकर अपने घर के बाहर ही रख देते और दिन में 2 – 3 मटके बिक जाने से उनके घर का गुजारा जैसे तैसे हो जाता था ।
1 दिन बोला बड़ी गहरी नींद में सोया हुआ था सुबह के लगभग सात बजे थे गहरी नींद से भोला एक दम से बदवहास होकर उठा और एकदम से दरवाजे को खोलकर बाहर जाकर जल्दी-जल्दी अपने मटकों की गिनती करने लगा दरवाजे की आवाज आने से उसकी बहन की नींद खुल गई और भागी भागी भोला के पीछे गई और कहने लगी भोला क्या हुआ ? इतने परेशान क्यों हो ? भोला बडी बौखलाई और लड़खड़ाती आवाज में कहने लगा …अरे बहना अभी एक लड़का जो कि मेरी उम्र का था मेरे से 20 मटके लेकर गया और कहने लगा कि यह मटके मुझे बहुत जरूरी चाहिए क्योंकि मेरे से गल्ती से मेरे गांव की कुछ औरतों के मटके टूट गए है । मैं यह मटकियां उनको जल्दी ही ला कर दूंगा ऐसा मैं उनको कह कर आया हूं अगर ऐसा नहीं करूंगा तो मेरी मैया से मेरी शिकायत कर देंगी और बहना वो मुझको कह कर गया कि मैं तुझे इन मटको के पैसे 1 घंटे में देकर जाता हूं लेकिन काफी समय हो गया अभी तक वह नहीं आया और परेशानी से भोला इधर-उधर गुस्से से पैर पटक कर चलने लगा उसकी बहन करने लगी भोला तूने कोई सपना देखा होगा इतनी सुबह सुबह कौन तेरे से मटकी लेने आएगा और देखो मैंने तो मटकी गिन भी ली है हमारी मटकियां उतनी ही है जितनी रात को रखकर सोए थे ।लेकिन भोला अपनी बात से टस से मस ना हुआ कहने लगा नहीं बहना वह लड़का मेरे से लेकर गया है और मैंने उसे ₹40 लेने हैं। बहन ने उसको बहुत समझाया लेकिन भोला ना माना और परेशान बैठा रहा अब तो दोपहर तक का समय हो गया मारे गुस्से के भोला ने कुछ नहीं खाया और वो बार-बार बाहर दरवाजे की तरफ जाकर उस लड़के का इंतजार करने लगा कि अभी वह मेरे पैसे देने आएगा लेकिन वह लड़का अभी तक नहीं आया। भोला कि बहनउसको समझा समझा कर थक गई लेकिन भोला नहीं माना तभी भोला की बहन कहने लगे अच्छा यह तो बताओ वह दिखने में कैसा था ?भोला को उसकी पूरी शक्ल सूरत याद थी उसने जल्दी से चूल्हे में से एक कोयला उठाया और मटकी पर उसकी बड़ी तन्मयता से उसकी तस्वीर उकेरने लगा थोड़ी देर में उसकी तस्वीर बनाकर अपनी बहन को दिखाई उस तस्वीर को देखकर भोला कि बहन ठगी सी रह गई इतना सुंदर कोई संसार में हो सकता है इतनी सुंदर तस्वीर। लेकिन वह कुछ ना बोली और भोला को कहने लगी चलो एक दिन इंतजार कर लेते हैं । भोला गुस्से से अपने दांतो को भींच कर कहने लगा एक बार वह आ जाए तो मैं उसको बहुत खरी खरी सुनाऊंगा अब तो भोला को इतना गुस्सा आ रहा था कि उसको लगा कि कहीं मुझे उसकी शक्ल भूल ना जाए उसने हर मटकी पर उसकी शक्ल बनानी शुरू कर दी शाम को कुछ लोग भोला के घर के पास से गुजरे और मटके के ऊपर से इतनी सुंदर तस्वीर देख कर सब लोगों का मन हुआ कि मटका अपने घर लेकर जाए और धीरे-धीरे भोला के सारे मटके बिक गए ।अब तो भोला सोचने लगा मेरे तो सारे मटके बिक गए मेरे से कहीं फिर उसकी शक्ल भूल ना जाए उसने जाकर अपने घर की दीवार पर उसकी तस्वीर बना दी लेकिन रात को इतनी बारिश आई कि वह सुबह तक तस्वीर मिट गई सुबह जब भोला उठा दीवार पर तस्वीर न देखकर बोखला सा गया उसने अब अपने घर की दीवार के साथ साथ अपने आसपास के घर की दीवारों पर भी कोयले से उस लड़के की तस्वीर बना दी कि कहीं मेरे को उसकी शक्ल भूल ना जाए जब आसपास के लोगों ने पूछा यह किसकी तस्वीर बना रहे हो उसने सारी बात बताई लड़का उससे मटके उधार ले गया ₹40 बनते हैं लेकिन वह अभी तक देकर नहीं गया अब तो भोला ने गांव के हर घर की दीवार पर उस लड़के की तस्वीर बना दी और लोगों को कह दिया कि कहीं यह लड़का नजर आए तो उसको पकड़ लेना ताकि वह मुझे मेरे पैसे दे दे ।अब तो मटकी पर भी अब वह रोज उसकी कोयले से शक्ल बना देता लोगों को अब मटकी इतनी पसंद आने लगी कि अब तो सुबह मटके बनाता शाम तक सारी मटके बिक जाते ।गांव के घर के जिस जिस की दीवार पर उसने उस लड़के की तस्वीर बनाई थी न जाने कैसे सब लोगों के घर के हालात एक दम से खुशहाली में तब्दील हो बदल गए थे।
एक दिन एक महात्मा घूमते घूमते गांव में आए गांव के हर घर पर उस लड़के की तस्वीर देखकर हैरान से हो गए और जब भोला के घर के पास पहुंचे और सभी मटकों पर एक जैसी तस्वीर देख कर के वहीं पास बैठ गए और भोला कि बहन को बुलाकर कहने लगे बेटा इस गांव का माहौल कितना सुंदर है हर घर में मेरे ठाकुर की तस्वीर लगी हुई है और देखो तो तुम्हारे घर के बाहर मटको पर तो सब पर मेरे कन्हैया की तस्वीर बनी हुई है यह गांव तो बिल्कुल कृष्ण मयी है ।भोला यह बातें सुन रहा था वह भागा भागा महात्मा के पास आया और कहने लगा ,.. बाबा क्या तुम इस लड़के को जानते हो? बाबा ने कहा हां क्यों नहीं। भोला कि तो जैसे खुशी से आंखें चोढी हो गई और कहने लगा बाबा पहले उठो और चलो मेरे साथ यह लड़का मेरे से 20 मटके उधार लेकर गया है और मेरे इस लड़के ने40 रुपए देने हैं लेकिन इतने दिनों बाद भी अभी तक नहीं आया महात्मा जी हैरान होकर कहने लगे यह क्या कह रहे हो तुम?— लेकिन भोला महात्मा की बाजू पकड़ कर कहने लगा महात्मा जी मेरे साथ चलो यह कहां रहता है महात्मा जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर भी भोला की मासूमियत और जिद को देखकर उसके साथ चल पड़े और एक जगह पर जाकर खड़े हुए और सामने मंदिर की तरफ इशारा करके ठाकुर जी को दिखाते हुए कहने लगे वह देखो यह वही लड़का है जिसके बारे में तुम पूछ रहे थे ।भोला भाग कर मंदिर के अंदर गया और उस मूर्ति के आगे जाकर कमर पर हाथ रखकर आंखों का मटकाता हुआ बोला अरे यहां पर बड़े आराम से खड़े हो लाओ मेरे 40 रूपए लेकिन मूर्ति तो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।भोला को उसकी मासूम सी भोली सी शक्ल देख कर उस पर से थोड़ा सा गुस्सा कम हुआ और कहने लगा चलो ठीक है 40 रुपए तुम्हें ज्यादा लगते हैं तो ₹2 कम कर देता हूं लेकिन वह तस्वीर तो वैसे ही मंद मंद मुस्कुरा रही थी अब तो भोला को गुस्सा आया और वह जमीन पर गुस्से से बैठ गया और कहने लगा जब तक तुम मुझे पैसे नहीं दोगे मैं यहां से नहीं जाऊंगा तभी अचानक पीछे से एक सफाई करने वाली माता जी आई और कहने लगी बेटा मैं सारा मंदिर घूम आई मुझे और कोई नजर नहीं आया मुझे तू ही नजर आया है सफाई करते हुए मुझे यह ₹40 मिले हैं यह तुम्हारे तो नहीं गिरे भोला ने झट से माता जी के हाथ से पैसे छीन लिए और कहने लगा हां हां मेरे ही है मुझे सब पता है कि इस लड़के ने तुम्हें भेजा है भोला आंखें तरेरते हुए कहने लगा कि यह खुद सामने आने से डर रहा है तभी आप के हाथ पैसे भेजे । पैसों को लेकर ठाकुर जी की मूर्ति को घुरता हुआ बाहर आ गया और महात्मा जी को कहने लगा ले आया मैं पैसे।
भोला कि मुट्ठी में पैसों देखकर महात्मा जी हैरान हो रहे थे और अपने भगवान की लीला को देख कर मुस्कुराने लगे।
पिछले जन्म में भोला का भगवान के मंदिर के बाहर फूलों की माला बेचने का काम था और मंदिर में हर रोज भोला की दुकान से माला बनकर ठाकुर जी को चढाई जाती थी। माला के पैसे जो मंदिर में चढ़ावा आता था भोला को माला के पैसे उसी चढावे से मिलते थे लेकिन कुछ दिनों से मंदिर में चढ़ावा न के बराबर हुआ । तो भोला को भी फूलों की माला के पैसे नहीं मिले । कुछ दिन बीमार रहने के बाद भोला की मृत्यु हो गई और वह ठाकुर जी पर पैसे उधार रह गए । और इस जन्म में ठाकुर जी भोला को इस रूप में पैसे वापस करने के लिए आए थे ।
चाहे भगवान हो या इंसान हो अगर हम किसी के पैसे रखते हैं तो उसको अगले जन्म में किसी न किसी रूप में आकर उसको देना ही पड़ता है इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए इस जन्म में ना तो किसी से पैसा उधार न ले और ना दें ताकि अगले जन्म में हमें यह उधार आ कर चुकाना न पड़े।
जय जय श्यामा जय जय श्याम
जय जय श्री धाम वृन्दावन



भोला अपनी बहन के साथ गांव में मिट्टी के मटके बनाने का काम करता था ।भोला 12 साल का था उसकी बहन 15 साल की थी। मां-बाप बचपन में ही गुजर जाने के कारण बहन ने हीं भोला को मां-बाप का प्यार दिया था ।बहन भाई में बहुत प्यार था। भोला और उसकी बहन नदी के किनारे से मिट्टी उठाते और बड़ी ही मेहनत से मिट्टी के मटके बनाकर अपने घर के बाहर ही रख देते और दिन में 2 – 3 मटके बिक जाने से उनके घर का गुजारा जैसे तैसे हो जाता था । 1 दिन बोला बड़ी गहरी नींद में सोया हुआ था सुबह के लगभग सात बजे थे गहरी नींद से भोला एक दम से बदवहास होकर उठा और एकदम से दरवाजे को खोलकर बाहर जाकर जल्दी-जल्दी अपने मटकों की गिनती करने लगा दरवाजे की आवाज आने से उसकी बहन की नींद खुल गई और भागी भागी भोला के पीछे गई और कहने लगी भोला क्या हुआ ? इतने परेशान क्यों हो ? भोला बडी बौखलाई और लड़खड़ाती आवाज में कहने लगा …अरे बहना अभी एक लड़का जो कि मेरी उम्र का था मेरे से 20 मटके लेकर गया और कहने लगा कि यह मटके मुझे बहुत जरूरी चाहिए क्योंकि मेरे से गल्ती से मेरे गांव की कुछ औरतों के मटके टूट गए है । मैं यह मटकियां उनको जल्दी ही ला कर दूंगा ऐसा मैं उनको कह कर आया हूं अगर ऐसा नहीं करूंगा तो मेरी मैया से मेरी शिकायत कर देंगी और बहना वो मुझको कह कर गया कि मैं तुझे इन मटको के पैसे 1 घंटे में देकर जाता हूं लेकिन काफी समय हो गया अभी तक वह नहीं आया और परेशानी से भोला इधर-उधर गुस्से से पैर पटक कर चलने लगा उसकी बहन करने लगी भोला तूने कोई सपना देखा होगा इतनी सुबह सुबह कौन तेरे से मटकी लेने आएगा और देखो मैंने तो मटकी गिन भी ली है हमारी मटकियां उतनी ही है जितनी रात को रखकर सोए थे ।लेकिन भोला अपनी बात से टस से मस ना हुआ कहने लगा नहीं बहना वह लड़का मेरे से लेकर गया है और मैंने उसे ₹40 लेने हैं। बहन ने उसको बहुत समझाया लेकिन भोला ना माना और परेशान बैठा रहा अब तो दोपहर तक का समय हो गया मारे गुस्से के भोला ने कुछ नहीं खाया और वो बार-बार बाहर दरवाजे की तरफ जाकर उस लड़के का इंतजार करने लगा कि अभी वह मेरे पैसे देने आएगा लेकिन वह लड़का अभी तक नहीं आया। भोला कि बहनउसको समझा समझा कर थक गई लेकिन भोला नहीं माना तभी भोला की बहन कहने लगे अच्छा यह तो बताओ वह दिखने में कैसा था ?भोला को उसकी पूरी शक्ल सूरत याद थी उसने जल्दी से चूल्हे में से एक कोयला उठाया और मटकी पर उसकी बड़ी तन्मयता से उसकी तस्वीर उकेरने लगा थोड़ी देर में उसकी तस्वीर बनाकर अपनी बहन को दिखाई उस तस्वीर को देखकर भोला कि बहन ठगी सी रह गई इतना सुंदर कोई संसार में हो सकता है इतनी सुंदर तस्वीर। लेकिन वह कुछ ना बोली और भोला को कहने लगी चलो एक दिन इंतजार कर लेते हैं । भोला गुस्से से अपने दांतो को भींच कर कहने लगा एक बार वह आ जाए तो मैं उसको बहुत खरी खरी सुनाऊंगा अब तो भोला को इतना गुस्सा आ रहा था कि उसको लगा कि कहीं मुझे उसकी शक्ल भूल ना जाए उसने हर मटकी पर उसकी शक्ल बनानी शुरू कर दी शाम को कुछ लोग भोला के घर के पास से गुजरे और मटके के ऊपर से इतनी सुंदर तस्वीर देख कर सब लोगों का मन हुआ कि मटका अपने घर लेकर जाए और धीरे-धीरे भोला के सारे मटके बिक गए ।अब तो भोला सोचने लगा मेरे तो सारे मटके बिक गए मेरे से कहीं फिर उसकी शक्ल भूल ना जाए उसने जाकर अपने घर की दीवार पर उसकी तस्वीर बना दी लेकिन रात को इतनी बारिश आई कि वह सुबह तक तस्वीर मिट गई सुबह जब भोला उठा दीवार पर तस्वीर न देखकर बोखला सा गया उसने अब अपने घर की दीवार के साथ साथ अपने आसपास के घर की दीवारों पर भी कोयले से उस लड़के की तस्वीर बना दी कि कहीं मेरे को उसकी शक्ल भूल ना जाए जब आसपास के लोगों ने पूछा यह किसकी तस्वीर बना रहे हो उसने सारी बात बताई लड़का उससे मटके उधार ले गया ₹40 बनते हैं लेकिन वह अभी तक देकर नहीं गया अब तो भोला ने गांव के हर घर की दीवार पर उस लड़के की तस्वीर बना दी और लोगों को कह दिया कि कहीं यह लड़का नजर आए तो उसको पकड़ लेना ताकि वह मुझे मेरे पैसे दे दे ।अब तो मटकी पर भी अब वह रोज उसकी कोयले से शक्ल बना देता लोगों को अब मटकी इतनी पसंद आने लगी कि अब तो सुबह मटके बनाता शाम तक सारी मटके बिक जाते ।गांव के घर के जिस जिस की दीवार पर उसने उस लड़के की तस्वीर बनाई थी न जाने कैसे सब लोगों के घर के हालात एक दम से खुशहाली में तब्दील हो बदल गए थे। एक दिन एक महात्मा घूमते घूमते गांव में आए गांव के हर घर पर उस लड़के की तस्वीर देखकर हैरान से हो गए और जब भोला के घर के पास पहुंचे और सभी मटकों पर एक जैसी तस्वीर देख कर के वहीं पास बैठ गए और भोला कि बहन को बुलाकर कहने लगे बेटा इस गांव का माहौल कितना सुंदर है हर घर में मेरे ठाकुर की तस्वीर लगी हुई है और देखो तो तुम्हारे घर के बाहर मटको पर तो सब पर मेरे कन्हैया की तस्वीर बनी हुई है यह गांव तो बिल्कुल कृष्ण मयी है ।भोला यह बातें सुन रहा था वह भागा भागा महात्मा के पास आया और कहने लगा ,.. बाबा क्या तुम इस लड़के को जानते हो? बाबा ने कहा हां क्यों नहीं। भोला कि तो जैसे खुशी से आंखें चोढी हो गई और कहने लगा बाबा पहले उठो और चलो मेरे साथ यह लड़का मेरे से 20 मटके उधार लेकर गया है और मेरे इस लड़के ने40 रुपए देने हैं लेकिन इतने दिनों बाद भी अभी तक नहीं आया महात्मा जी हैरान होकर कहने लगे यह क्या कह रहे हो तुम?— लेकिन भोला महात्मा की बाजू पकड़ कर कहने लगा महात्मा जी मेरे साथ चलो यह कहां रहता है महात्मा जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर भी भोला की मासूमियत और जिद को देखकर उसके साथ चल पड़े और एक जगह पर जाकर खड़े हुए और सामने मंदिर की तरफ इशारा करके ठाकुर जी को दिखाते हुए कहने लगे वह देखो यह वही लड़का है जिसके बारे में तुम पूछ रहे थे ।भोला भाग कर मंदिर के अंदर गया और उस मूर्ति के आगे जाकर कमर पर हाथ रखकर आंखों का मटकाता हुआ बोला अरे यहां पर बड़े आराम से खड़े हो लाओ मेरे 40 रूपए लेकिन मूर्ति तो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ।भोला को उसकी मासूम सी भोली सी शक्ल देख कर उस पर से थोड़ा सा गुस्सा कम हुआ और कहने लगा चलो ठीक है 40 रुपए तुम्हें ज्यादा लगते हैं तो ₹2 कम कर देता हूं लेकिन वह तस्वीर तो वैसे ही मंद मंद मुस्कुरा रही थी अब तो भोला को गुस्सा आया और वह जमीन पर गुस्से से बैठ गया और कहने लगा जब तक तुम मुझे पैसे नहीं दोगे मैं यहां से नहीं जाऊंगा तभी अचानक पीछे से एक सफाई करने वाली माता जी आई और कहने लगी बेटा मैं सारा मंदिर घूम आई मुझे और कोई नजर नहीं आया मुझे तू ही नजर आया है सफाई करते हुए मुझे यह ₹40 मिले हैं यह तुम्हारे तो नहीं गिरे भोला ने झट से माता जी के हाथ से पैसे छीन लिए और कहने लगा हां हां मेरे ही है मुझे सब पता है कि इस लड़के ने तुम्हें भेजा है भोला आंखें तरेरते हुए कहने लगा कि यह खुद सामने आने से डर रहा है तभी आप के हाथ पैसे भेजे । पैसों को लेकर ठाकुर जी की मूर्ति को घुरता हुआ बाहर आ गया और महात्मा जी को कहने लगा ले आया मैं पैसे। भोला कि मुट्ठी में पैसों देखकर महात्मा जी हैरान हो रहे थे और अपने भगवान की लीला को देख कर मुस्कुराने लगे। पिछले जन्म में भोला का भगवान के मंदिर के बाहर फूलों की माला बेचने का काम था और मंदिर में हर रोज भोला की दुकान से माला बनकर ठाकुर जी को चढाई जाती थी। माला के पैसे जो मंदिर में चढ़ावा आता था भोला को माला के पैसे उसी चढावे से मिलते थे लेकिन कुछ दिनों से मंदिर में चढ़ावा न के बराबर हुआ । तो भोला को भी फूलों की माला के पैसे नहीं मिले । कुछ दिन बीमार रहने के बाद भोला की मृत्यु हो गई और वह ठाकुर जी पर पैसे उधार रह गए । और इस जन्म में ठाकुर जी भोला को इस रूप में पैसे वापस करने के लिए आए थे । चाहे भगवान हो या इंसान हो अगर हम किसी के पैसे रखते हैं तो उसको अगले जन्म में किसी न किसी रूप में आकर उसको देना ही पड़ता है इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए इस जन्म में ना तो किसी से पैसा उधार न ले और ना दें ताकि अगले जन्म में हमें यह उधार आ कर चुकाना न पड़े। जय जय श्यामा जय जय श्याम जय जय श्री धाम वृन्दावन

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