मानव जीवन का लक्ष्य 1

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आज की पीढ़ी मानव जीवन के मुल्य को भुल गई है। वह शारीरिक जीवन को असली जीवन समझ बैठी है। शारीरिक जीवन का कार्य हर श्रेणी करती है खाना पीना सोना जीवन की सच्चाई नहीं है। यह मात्र शरीर का पालन पोषण हैं। क्या आज का मनुष्य अपने आप को भुल गया है। वह एक बार भी यह चिन्तन नहीं करता है मेरे मनुष्य जीवन का क्या अर्थ है मै पृथ्वी पर खाने पीने सोने के लिए नही आया हु। यह मानुष जन्म हमे कितने ही जन्म के बाद मिलता है।

मानव जीवन मे आत्मा का परमात्मा से मिलने हो सकता है। क्या मैंने जीतेजी आत्मिक शान्ति को प्राप्त कर लिया है क्या मै मेरापन से कितना ऊपर उठ पाया हूँ। मुझमे आनंद दिखाई देता है वह अध्यात्मिक है या फिर बाहरी खुशी मात्र है। अध्यात्मवाद वह है जो किसी भी परिस्थिति में गिरता नही है जो बनता और बिगड़ता है वह अध्यात्मवाद नहीं है। हर परिस्थिति में सम भाव अध्यात्मवाद है।

एक अध्यात्मिक जंहा कहीं परिवर्तन दिखाई देता है वह मौन हो जाता है। मानव जीवन मे प्राणी अपने अन्तर्मन की परख कर सकता है।अध्यात्मवाद के लिए मानव को अपने अन्तःकरण मे गहरा उत्तरना होता है।एक अध्यात्मिक बहुत सी बाहरी पुजा पाठ में नहीं होता है।  अन्तर्मन के भाव मे दृढता पर दृष्टि टिकाकर रखता है।अ प्राणी तु क्यो सोया हुआ है अन्य जन्म तेरे पशु वृत्तियो के थे।

तु मानव जीवन मे चेत जा तु चेतन आत्मा का प्रकाश मे दृष्टिपात कर। तुझमें सब गुण समाये हुए हैं ।तुझे आत्म तत्व को जागृत करना है। आत्म तत्व की जागृति से प्राणी जन्म मृत्यु के चक्कर से ऊपर उठ सकता है। अ प्राणी आत्म तत्व की जागृति के लिए पृथ्वी पर आया था। तु भौतिकवाद के अधिन हो रहा है। प्राणी तुझे इस भौतिक जगत जीवन से ऊपर उठना होगा। संसार में एक व्यक्ति यदि सत्य रूप में अध्यात्मवाद का चिन्तन करता है तब कितने ही उनके सहारे से तर जातें है अध्यात्मवाद प्रकाश रूप हैं हमे अपने अन्तःकरण की ज्योति को जाग्रत करना होगा जय श्री राम अनीता गर्ग

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