हम भगवान का सिमरण निस्वार्थ भाव से करें भगवान मेरे है देखो भगवान मुझे देख रहे हैं जब तक हम समर्पित भाव से भगवान को नहीं भजते तब तक अध्यात्मवाद के मार्ग पर नहीं बढ सकते हैं। जब हम वर्षों भगवान को समर्पित भाव से भजते हैं। मेरे दिल की तमन्ना थी भगवान कैसे है। मै भगवान को देख लु मुझे कुछ भी मालूम नहीं बस भगवान को देखना बाबा हनुमान जी के दिल में भगवान राम विराजमान हैं क्या भगवान इस पगली के दिल में भी आएगे। भगवान को कैसे याद करते हैं बस भगवान को निहारती रहती। घर में सभी मुर्ख ही समझते। मेरा कार्य बस भगवान से जैसे हम घर में बात करते हैं वैसे भगवान से मन से जो शब्द निकलता उससे भगवान राम के चरणो में नतमस्तक होना था। घर की सफाई करते हुए भगवान से सम्बन्ध बन जाता तब वो घर नहीं रहता वो प्रभु का धाम बन जाता है ऐसे लगता अयोध्या के महल में सफाई कर रही हू। भगवान जी कर जोङकर विनती करती हूँ ये सम्बन्ध बना रहे। दिल मे भगवान के अरमान सजते रहे आज मेरे प्रभु घर आएंगे।भक्त का घर भी बाहरी नहीं रहता है भक्त भगवान से भक्त जानता है यह शरीर मिट्टी का ढेला है आत्मा का परमात्मा से मिलन सच्चा साक्षात्कार है। भक्त फिर भगवान से कहता है नाथ मुझमें में अवगुण है भारी मेरे अवगुण की चाहे सजा ही दो स्वामी की कृपा दृष्टि तो हो। मै भगवान से कभी भी कुछ नहीं चाहती थी। बस मैंने यह पढ़ा हुआ था कि मानव जीवन का लक्ष्य आत्मा का परमात्मा से मिलन है ।मै हर समय भगवान को ध्याती रहती और सोचती कि कब भगवान मुझ दासी को स्वीकार करेगे। तब भगवान की कृपा से हम अध्यात्मवाद के मार्ग पर आते हैं।भगवान को भजते हुए भक्त को कटिले रास्ते पङते है पग पग पर पहरेदार खङे होते हैं। ध्यान चुकते ही गिर जाते हैं। कटिले रास्तो पर अकेले ही चलना पड़ता है।
अध्यात्मवाद ये उठने और गिरने का सौदा है यहां पत्थर पर मन को रगङना पङता है। ये राम नाम के मोती हैं चुग सके तो चुगले रे मुसाफिर फिर पाछ पछताएगा। कटिले रास्ते के साथी भगवान होते हैं।
भगवान की भक्ति मे जितने हम अनजान होगें हमें कोई साथी भी नहीं मिलेगा तभी भगवान को सच्चे दिल से पुकारते हैं। हे नाथ तुम कंहा छुप गए तुम दिल के स्वामी तुम प्राण हो ।हे प्रभु हे स्वामी मै तुम्हारे बैगर रह नहीं पाता हूं। तब भक्त भगवान को साथी बनाता है मेरे नाथ ही सबकुछ है जय श्री राम
अनीता गर्ग
We should worship God selflessly, God is mine, see God is watching me, until we do not worship God with devotion, we cannot move on the path of spiritualism. When we worship God with devotion for years. My heart’s desire was how is God. I see God, I do not know anything, just to see God, Lord Ram is seated in the heart of Baba Hanuman ji, will God also come in the heart of this pagli. How do you remember God? Just keep looking at God. Everyone in the house thinks only fools. My task was to bow down at the feet of Lord Rama from the words that came out of the mind from God as we talk to God at home. While cleaning the house, a relationship with God is formed, then he does not remain at home, he becomes the abode of the Lord, it seems that I am cleaning in the palace of Ayodhya. I request God to keep this relationship alive. God’s desires continue to be decorated in the heart, today my Lord will come home. The devotee’s house does not remain outside, the devotee knows the devotee from God, this body is a lump of soil, the meeting of the soul with the divine is the true realization. The devotee then says to God, Nath, I have demerits in me, even if the punishment for my demerits is the grace of the two lords. I never wanted anything from God. I just read that the goal of human life is the union of the soul with God. Then by the grace of God, we come on the path of spiritualism. While worshiping the Lord, the devotee has to walk the thorny path, the guards are standing at every step. When you miss your attention, you fall. One has to walk alone on the thorny roads.
Spiritualism is a deal of rising and falling, here the mind has to be rubbed on the stone. These are pearls of the name of Ram, if you can eat it, then the traveler will repent again. God is the companion of the thorny road.
As many as we are ignorant in the devotion of God, we will not get any partner, only then we call God with a true heart. Oh Lord, where have you been hiding you are the master of your heart, you are the soul. Oh Lord, I cannot live without you. Then the devotee makes God a companion, my Nath is everything Jai Shri Ram Anita Garg