जिन लोगों से ध्यान नहीं हो पा रहा तो म्रत्यु कैसे घटित होगी ? ध्यान और म्रत्यु मे ज्यादा कोई फर्क़ नही है ध्यान क्षणिक म्रत्यु है और म्रत्यु शाश्वत ध्यान, म्रत्यु को समझने के लिये म्रत्यु तक जाने कि जरूरत ही नही है बस ध्यान को समझ लें वहीं काफी है।
अगर हम ध्यान मे उतरने मे सफल हो गए तो म्रत्यु मे भी आसानी से प्रवेश कर पायेंगे दोनों का द्वार एक ही है वह है अवचेतन मन जहां सब कुछ स्टोर है, जो इसे होश से पार कर गया वह म्रत्यु को भी होश से पार कर जाएगा, बात होश रखते हुए पार करने ही है मूर्च्छा मे तो कोई भी पार कर लेगा, अगर कोई एसा कर सके तो हम उस परम तत्व को जान लेंगे जो जन्म और म्रत्यु दोनों अवस्था मे हमारे साथ है बस उसी साक्षी को जगाना ही पहले आध्यात्मिक पराकाष्ठा है और यह तो बस शुरुआत है आगे बहुत अनुभव ही सकते है, अगर व्यक्ती तैयार है तो अस्तित्व भी साथ देती है, परम आनंद के साथ पूर्व जन्म के गुण धर्म भी इसी जन्म मे उपलब्ध होने लगते है, फिर कोई जन्म नही है, जैसे जैसे प्रारब्ध उप्लब्ध होते है हम खाली होते जाते है और खाली सिर्फ परम खाली से मिल सकता है अब उसका कोई भौतिक जन्म नहीं होगा, आगे अभी बहुत कुछ है।