जीवन बंधा हुआ है


आज का समय ऐसा है हर कोई अपनी आजादी और अपने सुख चाहता है। हम जीवन को समझते नहीं है। जीवन बंधा हुआ है। क्या हम एकाकी जीवन जी सकते हैं। हमारे जीवन को सार्थक करने के लिए कितना परिश्रम किया जाता है। हम कभी सोचते नहीं है। जीवन की प्रत्येक सुविधा हमे अन्य के परिश्रम के माध्यम से प्राप्त होती है। हमारे जीवन के लिए अनेक व्यक्ति खुन पसीना बहाते है तब हमारी प्रति दिन की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। आप समझते हैं मै कुछ भी करूं ये मेरा जीवन है ये मेरी खुशी और गम है। ऐसा नहीं है जब तुम हंसते हो तब आस पास के वातावरण में नई चेतना आती है। तुम उदास होते हो तब कितनो का जीवन नीरस होता है माता सिकुड़ जाती है पिता मोन हो जाते हैं। मात पिता की उम्र दो वर्ष कम हो जाती है। तुम समझते हो मै आजाद हूं। तुम अन्य का सहारा लेते हो तब तुम हरषाते हो तुम्हारी खुशी अन्य को जीवन देती है। कोई आप से कितनी ही दुर बैठा हो आप की खुशी विदेश तक पहुच जाएगी। आपकी परेसानी से विदेश में बैठा व्यक्ति दुखी हो सकता  है। वे सब आपके अपने है जीवन को पढना और समझना बहुत कठिन है विरले ही जीवन को पढ पाते हैं। हम सब एक दूसरे से जुड़े हुए हैं बंधे हुए हैं ।  हम जीवन में आजादी चाहते  है आजादी का अर्थ नहीं जानते हैं आजादी का अर्थ है स्वतंत्रता। स्वतंत्रता कितनी स्वतंत्रता। अकेले मन मर्जी से रहने को स्वतंत्रता नहीं कह सकते हैं। एक क्षण  भी अकेले रहना  असम्भव है। हम भटकते है दुखी होते हैं। सोचते हैं हमारा कोई नहीं है नासमझ बनकर ऐसा सोचते हैं जीवन को पढना नहीं जानते हैं जिस दिन जीवन को पढना सीख जाओगे उस दिन जीवन का नया सवेरा है  सुख अपने लिए नहीं रहेगा दुख भी अपना नहीं है खुशी फैल जाती है जीवन बंधा हुआ था बंधन को हमने जीवन की रूकावटे समझा और हम परिवार समाज को तोड़ने वाले बन गए। जब अकेले दिखे फिर पैसे के बल पर नया समाज बनाया अपनी खुशियों के लिए। नया दिखता अपना है भीतर से खोखला है। नया समाज नींव को खोखला करता है नींव मजबूत अपनो से अपनो में है। सभी छोटी खुशी की दोङ में है बङे आयाम के लिए बङी सोच चाहिए। अपने आप से ऊपर उठ कर व्यक्ति बङी सोच को बनाता है। जब तक मैं और मेरा सुख निहित है। ऊपर उठ नहीं सकते। अ राही ऊपर उठ खुला आसमा तेरा है। जय श्री राम अनीता गर्ग

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