मन पर विचार न करके हमे परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भगवान के जीवन चरित्र को पढते हुए भगवान के भाव में खो जाए। मन क्या कर रहा है मै मेरे मन को पवित्र बना लु फिर मै भगवान को भज लुगां में नहीं फसना है। मै भगवान को भजता हूं तब भगवान ही मेरी सार सम्भाल करेंगे। इस मन को पकड़ कर रखना भी भगवान का ही काम है। मेरा काम श्री हरि के साथ सम्बन्ध बनाना है ।श्री हरि के प्रेम में डुब कर भगवान को अनेकों भाव से रिझाते हुए आनंद मगन होना है। अन्य सब की चिंता भगवान को सोंपते हुए हर परिस्थिति में आन्नद मगन होना है। मेरा भगवान मेरे अन्तर्मन में बैठा देख और सुन रहा हैं। वह मुझे अवस्य ही पका बनाने के लिए कटिले रस्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। अवश्य ही इसमें मेरी बङी भलाई छुपी हुई है।भगवान पर विस्वास हमे इधर उधर भटकने नहीं देता है। जय श्री राम
अनीता गर्ग