सूतजी बोले- हे मुनियों में उत्तम ब्राह्मणो ! एक अन्य ब्रह्मा का कल्प हुआ जो विश्वरूप नाम का था, वह बड़ा भारी विचित्र था। संहार का कार्य समाप्त हो जाने पर तथा पुनः सृष्टि रचना प्रारम्भ हो जाने पर ब्रह्मा जी ने पुत्र की कामना से भगवान का ध्यान किया। तब विश्वरूप सरस्वती जी प्रकट हुईं वह विश्वमाला तथा वस्त्र धारण किये हुए तथा विश्व यज्ञोपवीत, विश्व को ही सिर का वस्त्र धारण किये थीं।
इसके बाद पितामह ब्रह्मा जी ने मन से आत्मयुक्त होकर भगवान ईशान जो परमेश्वर हैं उनका यथाविधि ध्यान किया। उनका स्वरूप शुद्ध स्फटिक मणि के समान सफेद तथा सभी प्रकार के आभूषणों से भूषित हैं। उन सर्वेश्वर प्रभु की ब्रह्मा जी ने इस प्रकार वन्दना की-
हे ईशान ! महादेव ! ओ३म् ! आपको नमस्कार है। हे सभी विद्याओं के स्वामी आपको नमस्कार है। हे सभी प्राणियों के ईश्वर वृष वाहन आपको नमस्कार है। हे ब्रह्मा के अधिपति ! हे ब्रह्म स्वरूप ! हे शिव ! हे सदाशिव ! आपको नमस्कार है। हे ओंकार मूर्ते! हे देवेश ! हे सद्योजात ! आपको बारम्बार नमस्कार है। मैं आपकी शरण में आया हूँ।
ब्रह्मा जी की स्तुति से महादेव बहुत प्रसन्न हुए, फिर परमेश्वर भगवान शिव की कृपा से सृष्टि संचालन कार्य पूर्ण हो सका। ।। ॐ नमः शिवाय ।।
Sutji said – O best among sages, Brahmins! There was another Kalpa of Brahma whose name was Vishwaroop, he was very strange. After the work of destruction was over and creation started again, Brahma ji meditated on God with the desire of having a son. Then Vishvarupa Saraswati ji appeared, wearing the Vishvamala and clothes and wearing the sacred thread of Vishva Yajnopa, the head of the world itself.
After this, Grandfather Brahma ji, with his mind absorbed in self, meditated on Lord Ishaan who is the Supreme God as per the rituals. Her form is white like a pure crystal gem and is adorned with all types of jewellery. Lord Brahma worshiped that Supreme Lord in this way –
Hey Ishaan! Mahadev ! O3mm! Greetings to you. Salutations to you, O master of all knowledge. Salutations to you, O Lord of all beings, the Taurus vehicle. O Lord of Brahma! O form of Brahma! Hey Shiva! Hey Sadashiv! Greetings to you. Oh Omkar idol! Hey Devesh! Hey Sadyojat! Greetings to you again and again. I have come to you for refuge.
Mahadev was very pleased with the praise of Brahma, then by the grace of Lord Shiva, the work of creation could be completed. ।। Om Namah Shivaya.