सब रूप में परमात्मा बैठा है

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परम पिता परमात्मा को हम साथ रखते हैं तभी हमारा भीतरी प्रदुषण खत्म हो सकता है।परमात्मा में सद्गुरु जी मे श्रद्धा भक्ति भाव हमारे अन्दर विश्वास और दृढ़ संकल्प को बनाता है। कई बार तो ऎसा लगता है कि जैसे भगवान् नाथ ही कदम बढ़ा रहे हैं। जय जय गुरु देव। प्रभु मेरे घर गृहस्थी को आप चलाते हो मै पगली मुझे तो अपना होश ही नहीं है। मै हर वक्त तुम मे डुबी रहती जिन नैनो में भगवान समा जाते हैं उन्हे होश अपना रहता नहीं है।                                

सब रुपो में प्रभु मुझे आप का रुप दिखाई देता  कभी अन्तर्मन में तुम्हें देखती कभी तुम्हारे लिए अंगना सजाती। प्रभु आयेगे प्रभु आयेगे। कभी तुम्हें नैनो में समा लेती हूँ। हे परम प्रभु तुम मेरे स्वामी भगवान् नाथ हो। मेरे परम पिता परमात्मा को प्रणाम है.                                 रूह को तो परम पिता परमात्मा का नाम चिंतन और वन्दन ही सजा सकता है। हमे परमात्मा के चिन्तन में इतना गहरा उतरना है कि हमे पुरा शब्दकोश परम पिता परमात्मा का नाम लगे और हमारा मस्तक कोटि कोटि प्रणाम करे जय जय गुरुदेव, परमात्मा का नाम हम एक जबान से लेते है। हमे ऐसा लगता है हम एक समय एक परमात्मा बोलते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। वह परमात्मा हमारे रोम रोम में ध्वनि प्रकट कर देता है। हमारे रोम रोम से अनेकों ध्वनियां परमात्मा परमात्मा की गुंज  रही है। अन्तर्मन मे ध्वनि की गुंज बाहर भी ध्वनि की गुंज, आज मैं किरतन में गई मै देखती हूं कि मेरे हाथ से पर से अंग अंग से परमात्मा की ध्वनि निकल रही है। मै आनंद मगन हो जाती हूं।
हे परमात्मा जी आज ये दिल तुमसे मिलना चाहते हैं। हे परमात्मा जी मुझमे कुछ अच्छाई तो नहीं दिखती फिर भी दिल है कि अपने स्वामी भगवान् नाथ मे समा जाना चाहता है। दिल को अपने भगवान् नाथ स्वामी मेें ऐसा डुब गया है कि उसे अपना होश नहीं है। चेतन आत्मा का अनुभव होने लगता है। जय श्री राम अनीता गर्ग



If we keep the Supreme Father, the Supreme Soul, only then our inner pollution can end. Devotion to Sadguru ji in the Supreme Lord makes us have faith and determination. Sometimes it seems as if Lord Nath is taking steps. Jay Jay Guru Dev. Lord, you run the household in my house, I am mad, I do not have my senses. I used to be immersed in you all the time.

In all forms, I could see the form of you, sometimes I would look at you inside my heart, sometimes I would decorate an organ for you. Lord will come Lord will come. Sometimes I’ll take you in nano. O Supreme Lord, you are my lord Lord Nath. Salutations to my Supreme Father, the Supreme Soul. Only contemplation and worship of the Supreme Father, the Supreme Soul, can decorate the soul. We have to delve so deeply into the contemplation of God that we should get the name of the Supreme Father, the Supreme Soul, and our head should salute each and every one, Jai Jai Gurudev, we take the name of God with one tongue. We feel that we speak one God at a time, but it is not so. That God manifests sound in our hair and hair. Many sounds of the Supreme Soul are resonating from our Rome and Rome. The sound of sound in the heart, the sound of sound outside also, today I went to the Kirtan and I see that the sound of God is emanating from every part of my hand. I rejoice. Oh God, today this heart wants to meet you. Oh God, I do not see any goodness in me, yet there is a heart that wants to be absorbed in my lord Bhagwan Nath. The heart is so immersed in its Lord Nath Swami that it is not aware of its own. A conscious soul begins to be experienced. Jai Shri Ram Anita Garg

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