हे प्रभु ! क्या कर्म करूँ कि तेरी कृपा मुझे मिल जाये?
हे मेरे प्रभु ! बहुत युग बीते, कब लोगे खबर? कब सुनोगे पुकार? कब मिलेगा तुम्हारा प्यार? मेरे जीवन की सांझ बीत रही है अब और देर न लगाना प्रभु, अपना करुनाहस्त बढ़ाकर मुझे संभालो, हे देव! हम भक्तों का श्रद्धा भरा प्रणाम आपके श्री चरणकामलों में स्वीकार हो। हे प्रभु ! कौनसा हृदय लेकर आऊँ? कौन सा तन, मन, या धन लेकर आऊँ? क्या तुझे दूँ , जो तू रीझ सके? क्या कर्म करूँ की तेरी कृपा मुझे मिल जाय? कितने जन्म और लूं की तेरा धाम मिल सके?
मानव का लक्ष्य होना चाहिये प्रभु की प्राप्ति, अपनी आत्मा को परमात्मा में लीन कर देना। यदि परमात्मा से रिश्ता बनाना है , उसे पाना है तो उसे याद करना पड़ता है, प्रेमभाव रख कर स्मरण करना पड़ता है, तब जा के वो मिलता है । सन्तजन कहते हैं कि यदि जीव मनुष्य जन्म प्राप्त होने के बाद भी परमात्मा प्राप्ति के मार्ग पर नहीं बढ़ता तो वह पशु के समान है।
भगवान ने कहा है कि मैंने विभिन्न योनियों का निर्माण किया है उसमें मुझे मनुष्य योनि ज्यादा प्रिय है। मानव स्वयं ही अपना मित्र भी है, तथा शत्रु भी। मानव शरीर प्राप्त होने पर भी जो परमात्मा प्राप्ति के लक्ष्य पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं करता वह अभागा है तथा स्वयं ही अपना शत्रु है।
देवता भक्ति नहीं कर सकते, देवताओं को भी भक्ति करने के लिए मानव शरीर में अवतार धारण करना पड़ता है क्योंकि देवयोनि में देव अपने द्वारा संचित पुण्य कर्मो का फल भोगते है तथा संचित पुण्यों का भोग करने के पश्चात उन्हें भी मानवयोनि में जन्म लेना होता है। देवता के पुण्यों की समाप्ति होती है तो वह मनुष्य शरीर में जन्म लेते है। मनुष्य जब पाप करता है तब वह पशु बनता है। हमें यह मनुष्य जन्म … केवल इंद्रिय सुख, खाना-पीना व वंशवृद्धि करना भोगो के लिए नहीं मिला है, बल्कि परमात्मा का अनुभव करने के लिए मिला है। इंद्रिय सुख तो थोड़ी देर का ही सुख होता है परन्तु जो व्यक्ति परमात्मा प्राप्ति के मार्ग पर चलता है तो वह सदैव ही आनंद में रहता है। जो आनंद में रहता है उस पर सांसारिक दुखो का असर नहीं होता। अत: मानव को अपना लक्ष्य नहीं भुलना चाहिये……. आप परमात्मा के धाम से आये है तथा वापस परमात्मा के धाम जाना है तभी शांति संभव है। तो इस जीवन को आप सफल बनाओं इस धरती पर आपने जन्म लिया है तो कुछ ऐसा करके जाओं जिससे की दुनिया आपको याद करें ।🌷
🙏🏻 जय श्री कृष्ण , श्री कृष्ण शरणम् , प्रेम से बोलो… राधे राधे 🙏