हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भी
घर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान् देख
रहा है। तु मन में पवित्र भावना से कार्य कर। यदि तुने कुछ
भी हेरफेर की तो भगवान को क्या कहेगी। भगवान् देख
रहा है। मै भगवान से कार्य करते हुए प्रार्थना करती कि हे
प्रभु हे स्वामी भगवान् नाथ मेरे मन में पवित्रता बनी रहे।
भगवान् हर चीज़ में जङ और चेतन में समाया हुआ है।
मेरे मन के तार तार में भगवान छुपे बैठे हैं।
श्रद्धा और विश्वास में,भगवान छुपे बैठे हैं।
ये सुरज चांद सितारे,ये लोकान्तर सारे,
सागर की गहरी धार में,भगवान छुपे बैठे हैं
मेरे मन के तार तार में
भगवान् हर चीज़ में जङ और चेतन में समाया हुआ है।
भगवान् देख रहा है। मेरे दिल में हर क्षण यह भाव
बना रहता मेरा प्रभु प्राण नाथ प्यारा स्वामी भगवान् नाथ
देख रहा है। भगवान देख रहे के भाव में रूप नहीं है और
रूपवान है। भगवान देख रहे के भाव में भक्त पुजा पाठ
नहीं कर रहा है फिर भी पुजा कर रहा है। कर्तव्य और
कर्म की शुद्धता के साथ आत्मसमर्पण और भक्ति भी है।
भाव की प्रधानता और चेतना की जागृति है भगवान देख
मेरा भगवान् देख रहा है। मेरे दिल में हर क्षण यह भाव
बना रहता मेरा प्रभु प्राण नाथ प्यारा स्वामी भगवान् नाथ
देख रहा है। भगवान देख रहे हैं भक्त भगवान को हर
क्षण भजना चाहता है। भाव क्या एक ही विचार को बार
बार याद करना। एक ही विचार धारा को भक्त दस बीस
वर्ष तक जाने अनजाने में करता रहता है तब वह भाव
बनता है भाव हमारे भीतर श्रद्धा और आत्मविश्वास की
जागृति करता है। भगवान देख रहे यह मेरे जीवन का
अद्भुत सत्य भाव है। भाव में भगवान बैठे हैं भगवान के
होने का अहसास है भक्त के जीवन में भाव ही भाव है
नैनो में बसा लेता है। भक्त के दिल की एक ही तमन्ना
होती है कैसे किसी तरह से भगवान का मुझे अहसास हो।
भगवान की विनती स्तुति प्रार्थना करते हुए भगवान के
दर्शन की इच्छा जाग्रत हो जाती है। हर क्षण मन ही मन
भगवान का सिमरण स्मरण करती । भगवान को नमन और
वन्दन मन ही मन कर लेती कंही किसी को पता न चले
प्रभु से बात चल रही है। भक्त हर समय भगवान के भाव
मे होता है भक्त के अन्तर्मन मे भगवान देख रहे हैं का भाव
बनने लगता है। भगवान देख रहे हैं के भाव को अपने जीवन
में अपना लेता है। जब भी कुछ बात हो कार्य करते हुए
भक्त के दिल में भगवान की विनती स्तुति के साथ भगवान
देख रहे हैं का भाव दृढ होता जाता है। भाव से मन में
पवित्रता आ जाती है। भगवान देख रहा है के भाव में बीस
वर्ष बीत जाते हैं भगवान देख रहे हैं के भाव के साथ अपने
जीवन को ढाल लेती हूँ। भाव मेरे जीवन का हिस्सा बन
जाता है। मेरा अन्तर्मन बार बार पुकारता भगवान देख
रहे हैं। कभी भाव की गहराई में खो जाती फिर पुकारती
भगवान देख रहा है। भाव एक दिन में नहीं बनते हैं भाव का
अर्थ है भाव में जीवन को ढालना विचार धारा पर जीवन
को समर्पित करते हुए एक दिन ऐसा आया जब मैं रोटी
बना रही होती तब मुझे ऐसा महसूस होता भगवान सामने
खङे है भगवान देख रहे हैं। भक्त के दिल में जब भाव
जाग्रत होगा तभी भक्त अन्तर्मन से भगवान को नमन करेगा
अन्तर्मन की आंखों से भगवान को निहारने लगता है। भक्त
की भक्ति दृढ होती है तब भक्त का भगवान कण कण में
बैठा है। रोम रोम को प्रकाशित करता है।उठते बैठते एक
ही भाव भगवान देख रहे हैं,भाव की गहराई को वहीं
समझ सकता है जिसने भाव में गहरी डुबकी लगाई है।
भगवान देख रहा है का भाव में मुझे ऐसे लगता जैसे
भगवान् देख रहा का भाव साधक के मन में तभी जागृत
होगा जब अन्तर्मन में शुद्धता समा जाएंगी ।मेराभगवान्
सगुण साकार होते हुए भी निर्गुण निराकार है। मैं जिस
परमात्मा का चित से चिन्तन करती हूँ। वह जगत पिता
श्रद्धा भक्ति प्रेम रूप में मुझ में समाया है। प्रभु स्वामी
भगवान् नाथ प्रकाश का पूंज है।मेरा मालिक का प्रकाश
जङ चेतन सब में समाया है।भगवान भी लीला कर जाते हैं
चारों ओर प्रकाश की किरणें है जिधर नज़र प्रकाश ही
प्रकाश है चकले में से किरणें निकल रही है भगवान् जब
देखता है। तब साधक आत्म विभोर हो अनेक प्रकार से
स्तुति करता है दिल प्रफुल्लित हो जाता है। ननौ मे नीर
छलक आता है। भक्त के दिल की एक ही प्यास होती है
कि कब स्वामी भगवान् नाथ के प्रेम में डूब कर
नैन नीर बहाऊं। आन्नद मगन अपने भगवान् के आगे
हाथ जोड़ कर शिश झुकाते हुए नाचता हुआ नीर बहाता
है। प्रेमी बाहर से मौन होते हुए अपने प्रभु के आगे जहां कहीं
नृत्य कर लेता है। भगवान के सामने अन्तर्मन से नृत्य के
भाव को वही समझ सकता है जिन भक्तो ने भक्ती
भाव में गहरी डुबकी लगाई हो भक्त के हदय में प्रभु का
प्रेम समाया हैं
भगवान का दिव्य प्रेमहै। बाहर नहीं ढूंढन जाना,हृदय में ज्योति जलाना,
जय श्री राम अनीता गर्ग