“भगवन्नाम की चमत्कारी महिमा”

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भगवन्नाम लेना जबसे शुरू किया, समझना चाहिये कि तभी से जीवन की असली शुरुआत हुई है।भगवन्नाम में ऐसी अलौकिक शक्ति है कि वह क्षण भर में महान्-से-महान् गंदगी को धोकर परम निर्मल एवं शुद्ध कर डालती है।. नाम लेनेवालेका भला होने में किंचित् भी संदेह नहीं है।नाम और नामी दो वस्तु नहीं हैं। भगवन्नाम पाप धो देगा, विशुद्ध कर देगा, भगवान् से मिलनेकी आतुरता पैदा कर देगा।. भगवन्नाम जीभ पर आते ही ऐसा सोचना चाहिये कि भगवान् के साथ हमारा स्पर्श हो रहा है।भगवन्नामके समान विशुद्ध करने वाली अन्य कोई वस्तु नहीं है।जहाँ भगवन्नाम का जोर-जोर से कीर्तन होता है, वहाँ का सारा वायुमण्डल महान् पवित्र हो जाता है।
भगवान् के नाम का जप सुबह आँख खुलते ही शुरू कर दे और रात्रि को जब तक जगता रहे, तब तक चलता रहे।
. भगवन्नाम का उच्चारण करते समय महान्-से-महान् रस का अबुभाव करें और ऐसी भावना करें कि मेरे शरीर में जो साढ़े तीन करोड़ रोम हैं, उन सबसे भगवन्नाम का ही उच्चारण हो रहा है।
. जीभ से नाम लेते समय कान से उसे ठीक-ठीक सुने तो वह ध्यान सहित नाम-जप हो गया।
. इस कलियुग में और साधन भले ही कठिन हों, पर जीभ से नाम लेने में कोई कठिनाई नहीं है।
नाम जपते जाओ और भवसागर से तरते जाओ, गोस्वामीजीने कहा है- “गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।।”
. भगवन्नाम को जिसने अपना लिया भगवान् उसके अनायास ही अपने बन जाते हैं।
भगवन्नाम भगवान् के चरणोंमें भक्ति लगा देगा।
जय जय श्री राधेकृष्ण जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।



Since the beginning of taking God’s name, it should be understood that from then only life has started. There is no doubt about the goodness of the person taking the name. Name and fame are not two things. The Lord’s name will wash away the sins, purifies it, will create an eagerness to meet the Lord. As soon as the Lord’s name comes on the tongue, it should be thought that we are in touch with the Lord. There is nothing as purifying as the Lord’s name. Where the Lord’s name is chanted loudly, the whole atmosphere becomes very pure. Start chanting the name of the Lord as soon as you open your eyes in the morning and continue till you stay awake at night. , While chanting the Lord’s name, smell the greatest of rasa and feel that the only three-and-a-half crore follicles in my body are chanting the Lord’s name. , While taking the name with the tongue, listening to it properly with the ear, he became chanting with meditation. , In this Kali-yuga, other means may be difficult, but there is no difficulty in taking names with the tongue. Go on chanting the name and go swimming in the ocean of the universe, Goswamiji has said – “Gai ram gun gun bimal bhava tar binhin effort.” , One who has adopted the Lord’s name, the Lord spontaneously becomes his own. The Lord will put devotion at the feet of the Lord. Jai Jai Shri Radhekrishna ji. May Shri Hari bless you.

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