गुरुदेव पर आस्था

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एक शिष्य की गुरुदेव पर आस्था है। एक शिष्य प्रतिदन अपने गुरूदेव के सामने शीश झुकाते हुए प्रणाम करता है। मन ही मन गुरुदेव का सिमरण करता है। शिष्य के दिल में गुरु से मिलने की इच्छा होती है। तब वह गुरूदेव के पास जाने के लिए पैसे इकट्ठे करता है। पैसे चोरी हो जाते तब बहुत दुखी होता है। गुरूदेव से प्रार्थना करता है कि हे गुरूदेव आप यहीं आकर दर्शन देदो तब गुरुदेव शिष्य की इच्छा को पुरण करने आते हैं।

एक बार गुरुजी सत्संग करके आ रहे थे।रास्ते में गुरुजी का मन चाय पीने को हुआ।
उन्होंने अपने ड्राइवर को कहा-
“महापुरुषों, हमे चाय पीनी है।”ड्राइवर ने गाड़ी 5 स्टार होटल के आगे खड़ी कर दी।
गुरुजी ने कहा-“नहीं आगे चलो यहाँ नहीं।”
फिर ड्राइवर ने गाड़ी किसी होटल के आगे खड़ी कर दी।
गुरूजी ने वह भी मना कर दिया।
काफी आगे जाकर एक छोटी सी ढाबे जैसी एक दुकान आई।
गुरूजी ने कहा-“यहाँ रोक दो। यहाँ पर पीते हैं चाय।
ड्राइवर सोचने लगा कि अच्छे से अच्छे होटल को छोड़ कर गुरुजी ऐसी जगह चाय पीएंगे।
खैर वो कुछ नहीं बोला।
ड्राइवर चाय वाले के पास गया और बोला-“अच्छी सी चाय बना दो।”जब दुकानदार ने पैसों वाला गल्ला खोला तो उसमे गुरूजी का सरूप फोटो लगा हुआ था।
गुरूजी का सरूप देख कर ड्राइवर ने दुकानदार से पूछा-
“तुम इन्हें जानते हो, कभी देखा है इन्हें?”तो दुकानदार ने कहा-
“मैंने इनको देखने जाने के लिए पैसे इकठे किये थे।
जो कि चोरी हो गए, और मैं नहीं जा पाया।
पर मुझे यकीन है कि गुरूजी मुझे यही आ कर मिलेंगे।”
तो ड्राइवर ने कहा-“जाओ और चाय उस कार मैं दे कर आओ।”
तो दुकानदार ने बोला-
“अगर मैं चाय देने के लिए चला गया तो कहीं फिर से मेरे पैसे चोरी न हो जायें।”
तो ड्राइवर ने कहा-
“चिंता मत करो अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम्हारे पैसे अपनी जेब से दूंगा।”दुकानदार चाय कार मैं देने के लिए चला गया।
जब वहां उसने गुरुजी के देखा तो हैरान हो गया।
आँखों में आंसू देखे तो गुरू जी ने कहा-“तूने कहा था कि मैं तुम्हे यहीं मिलने आऊं और अब मैं तुमको मिलने आया हूँ तो तुम रो रहे हो।”इतना प्यार था उस आदमी के अन्दर आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
जब मन सच्चा हो और इरादे नेक हो तो भगवन को भी आना पड़ता है, अपने भगत के लिये।जी जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।



A disciple has faith in Gurudev. Every day a disciple bows before his Gurudev while bowing his head. The mind itself worships Gurudev. There is a desire in the heart of the disciple to meet the Guru. Then he collects money to go to Gurudev. Very sad when money is stolen. He prays to Gurudev that O Gurudev, you come here and give darshan, then Gurudev comes to fulfill the desire of the disciple.

Once Guruji was coming after doing a satsang. On the way, Guruji felt like drinking tea. He told his driver- “Great men, we have to have tea.” The driver parked the car in front of the 5-star hotel. Guruji said – “No, go ahead, not here.” Then the driver parked the car in front of a hotel. Guruji refused that too. After going a long way, a shop like a small dhaba came. Guruji said, “Stop here. Drink tea here. The driver started thinking that leaving the best hotel, Guruji would drink tea at such a place. Well he didn’t say anything. The driver went to the chaiwala and said, “Make good tea.” When the shopkeeper opened the wallet with the money, there was a picture of Guruji in it. Seeing the appearance of Guruji, the driver asked the shopkeeper- “You know them, have you ever seen them?” So the shopkeeper said- “I had raised money to go see them. which were stolen, and I could not go. But I am sure that Guruji will meet me by coming here.” So the driver said – “Go and give tea to that car and come.” So the shopkeeper said- “If I go to give tea, my money may not be stolen again.” So the driver said- “Don’t worry if this happens, I will give your money from my pocket.” I went to give the shopkeeper the tea car. When he saw Guruji there, he was surprised. When he saw tears in his eyes, Guru ji said – “You had said that I should come to meet you here and now I have come to meet you, so you are crying.” There was so much love that tears were not taking the name of stopping inside that man. . When the mind is true and the intentions are noble, then God also has to come, for the sake of his devotee. Ji Jai Shri Radhe Krishna Ji. May Shri Hari bless you.

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