अभी-अभी मईया लाला को स्नान करवा के लाई है और लाला को पलंग पर बिठाकर उसके वस्त्र उठाने गई हैं।
बस इतनी देर में आकर देखती हैं कि लाला अपने स्थान पर नहीं है।और माखन की मटकी टूटी हुई हैं।
अब मईया छड़ी लेकर लाला को ढूंढ रही हैं।और मन ही मन कह रही हैं कि लाला आज तो तू गया।आज तो तेरा कोई बहाना नहीं चलेगा।
पर्दे के पीछे की हलचल बता रही हैं कि पर्दे के पीछे कोई हैं।
मईया तेज कदमों से चलती हुई इसी और आ रही हैं।
अब लाला सोच रहा है कि क्या करें आज तो पक्का मार पड़ेगी।भय के मारे बृद्धि भी काम नहीं कर रही हैं।
जैसे ही मईया सामने आने को हुई।लाला अपने मुख पर हाथ रखकर कहना तो यह चाहता था कि मुझे मत मारियो।परन्तु भय के मारे मुख से निकल गया।मुझे मत खाइयों।
लाला के मुख से यह बात सुनकर मईया को भी थोड़ा संशय हुआ और मईया लाला से पूछने लगी।क्यों रे मैं क्या डायन दिखती हूँ जो तुझे खा जाऊंगी।
अभी तक तो लाला को भी समझ नहीं आई थी कि यह मेरे मुख से क्या निकल गया।
अब लाला मईया से लिपटकर सुबक-सुबक कर रोने लगा।परन्तु अब लाला भय के मारे नहीं रो रहा था।अब लाला सोच रहा है कि यदि मैं थोड़ी देर रोता रहा तो हो सकता है कुछ ना कुछ युक्ति सुझ जाए।
अब मईया भी शांत हो गई हैं।उसे भी लग रहा है कि कारण कुछ ओर हैं।
कुछ देर रोने के बाद लाला की दृष्टि आंगन में पडी उस टूटी हुई मटकी की ओर गई।लाला ने देखा एक बिल्ली उस मटकी से फैले हुए माखन को खा रही हैं।
उसे देखते ही लाला की आँखों में चमक आ गई।लाला को युक्ति सुझ गई थी।
अब लाला सुबक-सुबक कर रो भी रहा है और मईया को बिल्ली की ओर इशारा करते हुए कह रहा है।
देख मईया इस बिल्ली ने माखन की मटकी तोड़ दी।और जब मैंने इसे भगाना चाही तो यह मेरी ओर मुझे खाने के लिए लपकी।तभी मैं यहाँ आकर छिप गया।और यह तो अच्छा हुआ जो तू समय पर आ गई।और तेरी छड़ी देखकर यह मुझसे दूर भाग गई।वरना आज तो यह बिल्ली तेरे लल्ला को खा ही जाती।
अब मईया ने लाला को अपने आंचल मे छिपा लिया है।और लाड़ कर रही हैं।
और लाला मन ही मन बिल्ली का धन्यवाद कर रहे हैं कि आज तुम्हारे कारण मैं पिटने से बच गया।
इधर बिल्ली लाला का धन्यवाद कर रही हैं और कह रही हैं :- भगवन धन्यवाद तो आपका है जो मैं आपकी इस लीला मे ना होते हुए भी आपकी इस लीला मे समलित हो गई।और मुझे आपका सीत प्रसादी भी तो खाने को मिल गया।
(जय जय श्री राधे)