सांकरी गली एक ऐसी गली है जिससे एक – एक गोपी ही निकल सकती है और उस समय उनसे श्याम सुंदर दान लेते हैं |
सांकरी खोर पर सामूहिक दान होता है |
श्याम सुन्दर के साथ ग्वाल बाल भी आते हैं | कभी तो वे दही लूटते हैं, कभी वे दही मांगते हैं, और कभी वे दही के लिए प्रार्थना करते हैं |
साँकरी खोर प्रार्थन मन्त्र
दधि भाजन शीष्रा स्ताः गोपिकाः कृष्ण रुन्धिताः|
तासां गमागम स्थानौ ताभ्यां नित्यं नमश्चरेत ||
इस मन्त्र का भाव है कि गोपियाँ अपने शीश पर दही का मटका लेकर चली आ रही हैं और श्री कृष्ण ने उनको रोक रखा है |
उस स्थान को नित्य प्रणाम करना चाहिए, जहाँ से गोपियाँ आ-जा रही हैं |
यहाँ जो ये राधा रानी का पहाड़ है वो गोरा है | सामने वाला पहाड़ श्याम सुंदर का है और वो शिला कुछ काली है |
काले के बैठने से पहाड़ काला हो गया और गोरी के बैठने से कुछ गोरा हो गया | पहले राधा रानी की छतरी है फिर श्याम सुंदर की छतरी है और नीचे मन्सुखा की छतरी है |
यहाँ दान लीला होती है | यहाँ नन्दगाँव वाले दही लेने आये थे एकादशी में तो सखियों ने पकड़कर उनकी चोटी बांध दी थी | श्याम सुंदर की चोटी ऊपर बाँध देती हैं और मन्सुखा की चोटी नीचे बांध देती हैं |
मन्सुखा चिल्लाता है कि हे कन्हैया इन बरसाने की सखियों ने हमारी चोटी बांध दी हैं |जल्दी से आकर के छुड़ा भई , तो श्याम सुंदर बोलते हैं कि अरे ससुर मैं कहाँ से छुड़ाऊं | मेरी भी चोटी बंधी पड़ी है |
सखियाँ दोनों के साथ-साथ सब की चोटी बाँध देती हैं | और फिर सखियाँ कहती हैं कि चोटी ऐसे नहीं खुलेगी | राधा रानी की शरण में जाओ तब तुम्हारी चोटी खुलेगी | सब श्री जी की शरण में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं |
तब श्री जी की आज्ञा से सब की चोटी खुलती हैं | श्री जी कहती हैं कि इनकी चोटी खोल दो | श्याम सुंदर प्यारे को इतना कष्ट क्यों दे रही हो ?
गोपी बोली कि ये चोटी बंधने के ही लायक हैं |
ये लीला यहाँ राधाष्टमी के तीन दिन बाद होती है |
उस दिन यहाँ श्याम सुंदर मटकी फोड़ते हैं और नन्दगाँव के सब ग्वाल बाल आते हैं | श्री जी और सखियाँ मटकी लेकर चलती हैं तो श्याम सुन्दर कहते हैं कि तुम दही लेकर कहाँ जा रही हो ? तो सखियाँ कहती हैं कि ऐ दही क्या तेरे बाप का है ?
ऐसो पूछ रहे हो जैसे तेरे नन्द बाबा का है |
दही तो हमारा है | वहाँ से श्याम सुंदर बातें करते हुए चिकसौली की ओर आते हैं और यहाँ छतरी के पास उनकी दही कि मटकी तोड़ देते हैं | जहाँ मटकी गिरी है वो जगह आज भी चिकनी है वो सब लोग अभी देख सकते हैं |
यहाँ बीच में (सांकरी खोर में) ठाकुर जी के हथेली व लाठी के चिन्ह भी हैं | ये सब ५००० वर्ष पुराने चिन्ह हैं | ये सांकरी गली दान के लिये पूरे ब्रज में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है | वैसे तो श्याम सुंदर हर जगह दान लेते थे पर दान की ३-४ स्थलियाँ प्रसिद्ध हैं | ये हैं बरसाने में सांकरी खोर, गोवर्धन में दान घाटी व वृन्दावन में बंसी वट ,
पर इन सब में सबसे प्रसिद्ध सांखरी खोर है क्योंकि एक तो यहाँ पर चिन्ह मिलते हैं और दूसरा यहाँ आज भी मटकी लीला चल रही है | राधाष्टमी के पांच दिन के बाद नन्दगाँव के गोसाईं बरसाने में आते हैं |
यहाँ आकर बैठते हैं उस दिन पद गान होता है |
(बरसानो असल ससुराल हमारो न्यारो नातो — भजन) मतलब बरसाना तो हमारी असली ससुराल है ! आज तक नन्दगाँव और बरसाने का सम्बन्ध चल रहा है जो रंगीली के दिन दिखाई पड़ता है |
सुसराल में होली खेलने आते हैं नन्दलाल और गोपियाँ लट्ठ मारती हैं| वो लट्ठ की मार को ढाल से रोकते हैं और बरसाने की गाली खाते हैं | यहाँ मंदिर में हर साल नन्दगाँव के गोसाईं आते हैं और बरसाने की नारियाँ सब को गाली देती हैं | इस पर नन्दगाँव के सब कहते हैं “वाह वाह वाह !”
इसका मतलब कि और गाली दो | ऐसी यहाँ की प्रेम की लीला है | बरसाने की लाठी बड़ी खुशी से खाते हैं ,
उछल – उछल के और बोलते हैं कि जो इस पिटने में स्वाद आता है वो किसी में भी नहीं आता है | बरसाने की गाली और बरसाने की पिटाई से नन्दगाँव वाले बड़े प्रसन्न होते हैं | ऐसा सम्बन्ध है बरसाना और नन्दगाँव में |
साँकरी खोर में दान लीला भी सुना देते हैं |
साँकरी खोर की लीला सुना रहे हैं | इसे मन से व भाव से सुनो | ध्यान लगाकर सुनोगे तो लीला दिखाई देगी | साँकरी खोर में गोपियाँ जा रही हैं | दही की मटकी है सर पर | वहाँ श्री कृष्ण मिले |
कृष्ण के मिलने के बाद वो कृष्ण के रूप से मोहित हो जाती हैं और लौट के कहती हैं कि वो नील कमल सा नील चाँद सा मुख वाला कहाँ गया ?
अपनी सखी से कहती हैं कि मैं साँकरी खोर गयी थी |
सखी हों जो गयी दही बेचन ब्रज में , उलटी आप बिकाई
बिन ग्रथ मोल लई नंदनंदन सरबस लिख दै आई री
श्यामल वरण कमल दल लोचन पीताम्बर कटि फेंट री
जबते आवत सांकरी खोरी भई है अचानक भेंट री
कौन की है कौन कुलबधू मधुर हंस बोले री
सकुच रही मोहि उतर न आवत बलकर घूंघट खोले री
सास ननद उपचार पचि हारी काहू मरम न पायो री
कर गहि बैद ठडो रहे मोहि चिंता रोग बतायो री
जा दिन ते मैं सुरत सम्भारी गृह अंगना विष लागै री
चितवत चलत सोवत और जागत यह ध्यान मेरे आगे री
नीलमणि मुक्ताहल देहूँ जो मोहि श्याम मिलाये री
कहै माधो चिंता क्यों विसरै बिन चिंतामणि पाये री ||
तो एक पूछती है कि तू बिक गई ? तुझे किसने खरीदा ?
कितने दाम में खरीदा ?
बोली मुझे नन्द नन्दन ने खरीद लिया | मुफ्त में खरीद लिया | मेरी रजिस्ट्री भी हो गई |
मैं सब लिखकर दे आयी कि मेरा तन, मन, धन सब तेरा है | मैं आज लिख आयी कि मैं सदा के लिए तेरी हो गई | मैं वहाँ गई तो सांवला सा, नीला सा कोई खड़ा था | नील कमल की तरह उसके नेत्र थे, पीताम्बर उसकी कटि में बंधा हुआ था |
मैं जब आ रही थी तो अचानक मेरे सामने आ गया | मैं घूँघट में शरमा रही थी |
उसने आकर मेरा घूँघट खोल दिया और मुझसे बोला है कि तू किसकी वधु है ? किस गाँव की बेटी है ? वो मेरा अता पता पूछने लग गया |
ये वही ब्रज है,
यहाँ चलते – चलते अचानक कृष्ण सामने आ जाते हैं,
इसीलिए तो लोग ब्रज में आते हैं |
ये वही ब्रज है,
लोग भगवान को ढूँढते हैं और भगवान यहाँ स्वयं ढूंढ रहे हैं और
गोपियों का अता पता पूछ रहे हैं |
ये वही ब्रज है,
गोपी बोल नहीं रही है लज्जा के कारण और
श्याम उसका घूँघट खोल रहे हैं |
गोपी आगे कहती है कि जिस दिन से मैंने उन्हें देखा है मुझे सारा संसार जहर सा लगता है | कहाँ जाऊं क्या करूं ?
बस एक ही बात है दिन रात मेरे सामने आती रहती हैं | सोती हूँ तो, जागती हूँ तो उसकी ही छवि रहती है मेरे सामने | कौन सी बात ? किसकी छवि ?
गोपाल की !
घर में मेरी सास नन्द कहती हैं कि हमारी बहु को क्या हो गया है ?
वैद्य बुलाया गया कि मुझे क्या रोग है ?
वैद्य ने नबज देखी और देखकर कहा सब ठीक है | कोई रोग नहीं है | केवल एक ही रोग है –
चिंता ! कोई जो मुझे श्याम का रूप दिखा दे तो मैं उसको नील मणि दूंगी | जो मुझे श्याम से मिला दे, मुझे मेरे प्यारे से मिला दे | उसे मैं सब कुछ दे दूंगी |
तो कहिए श्री राधे राधे”
Sankri Gali is such a street from which only one gopi can come out and at that time Shyam Sundar takes donation from them. Mass charity is done at Sankri Khor.
Along with Shyam Sundar also comes Gwal Baal. Sometimes they loot curd, sometimes they ask for curd, and sometimes they pray for curd.
Sankri Khor Prayer Mantra
The gopis, whose heads were covered with yogurt, were covered with black One should always offer obeisances to them at their places of departure and arrival
The meaning of this mantra is that the gopis are carrying a pot of curd on their head and Shri Krishna has stopped them.
The place from where the gopis are coming and going should be worshiped regularly.
Here the mountain of Radha Rani is white. The mountain in front is of Shyam Sundar and that rock is somewhat black.
The mountain became black due to the sitting of the black, and some of it became white due to the sitting of the white. First there is the umbrella of Radha Rani, then there is the umbrella of Shyam Sundar and below is the umbrella of Mansukha.
Here charity takes place. Here the people of Nandgaon had come to get curd, on Ekadashi, the sakhis caught hold of them and tied their tops. Shyam Sundar’s top is tied up and Mansukha’s top is tied down.
Mansukha shouts that O Kanhaiya, the friends of these showers have tied our top. My braid is also tied.
The sakhis tie everyone’s top together with both. And then the friends say that the peak will not open like this. Take shelter of Radha Rani then your peak will open. Everyone takes refuge in Shri ji and offers prayers.
Then everyone’s tops open with the permission of Shri ji. Shree ji says open their top. Why are you giving so much trouble to Shyam Sundar Pyare? Gopi said that these peaks are worth tying. This Leela takes place here three days after Radhashtami.
On that day Shyam Sundar breaks the pot and all the cowherd hairs of Nandgaon come here. Shree ji and sakhis carry matki, then Shyam Sundar says where are you going with curd? So the friends say that O curd, does it belong to your father? You are asking as if it is your Nand Baba’s.
Yogurt is ours. From there Shyam comes towards Chiksauli talking beautiful and breaks his curd pot near the umbrella here. The place where the pot has fallen is still smooth, everyone can see it now.
Here in the middle (in Sankri Khor) there are also signs of Thakur ji’s palm and sticks. These are all 5000 years old symbols. This narrow street is most famous in the whole of Braj for charity. Although Shyam Sundar used to take donations everywhere, but 3-4 places of donation are famous. These are Sankri Khor in Barsane, Dan Ghati in Govardhan and Bansi Vat in Vrindavan.
But the most famous of all these is Sankhri Khor because one sign is found here and secondly, even today Matki Leela is going on here. After five days of Radhashtami, the Gosains of Nandgaon come to Barsana. When they come and sit here, the song is sung on that day.
(Barsano Asal Sasural Hamaro Nyaro Nato – Bhajan) Means Barsana is our real in-laws! Till date the relation between Nandgaon and Barsana is going on which is visible on the day of Rangili.
Nandlal and the gopis kick logs when they come to the house to play Holi. They stop the hitting of the log with the shield and abuse the rain. Here every year the Gosains of Nandgaon come to the temple and the women of Barsana abuse everyone. On this everyone of Nandgaon says “Wah wah wah!”
That means abuse more. Such is the play of love here. Barsana sticks are eaten with great pleasure,
Jumping and jumping and saying that the taste that comes in this beating does not come in anyone. The people of Nandgaon are very happy with the abuse of Barsana and the beating of Barsana. Such is the relation between Barsana and Nandgaon. Dan Leela is also narrated in Sankri Khor.
He is narrating the Leela of Sankri Khor. Listen to it with heart and soul. If you listen carefully you will see the Leela. Gopis are going to Sankri Khor. There is a pot of curd on the head. There Shri Krishna met.
After meeting Krishna, she becomes fascinated by the form of Krishna and returns and asks where did she go with the face of Neel Kamal like Neel Chand?
She tells her friend that I was narrowly lost. You are a friend who sells curd in Braj, you sell it in reverse
Bin Grath Mol Lai Nandanandan Sarbas Likh Dai I Re Shyamal Varan Kamal Dal Lochan Pitambar Kati Fent Ri When the time comes, it is a sudden meeting. Who is who Kulbadhu Madhur Hans said
Mohi was hesitant to come down and open her veil. Mother-in-law Nanda Upchar Pacha Hari Kahu Maram Na Payo Ri Do you keep fighting, tell me about my anxiety disease Ja din te main surat sambhari home angana poison lagai ri The mind is moving, sleeping and awake, this meditation is in front of me. Neelmani Muktahal Dehun Jo Mohi Shyam Milaye Ri Why Madho Chinta Kyun Visrai Bin Chintamani Paye Ri || So one asks are you sold? who bought you For what price did you buy?
Said Nand Nandan bought me. bought for free I got registered too.
I gave everything by writing that my body, mind and wealth are all yours. I wrote today that I have become yours forever. When I went there, someone was standing like a dusky, blue one. He had eyes like a blue lotus, Pitambar was tied around his neck.
When I was coming, suddenly it appeared in front of me. I was blushing in the veil.
He came and opened my veil and said to me, whose bride are you? Which village is your daughter from? He started asking my whereabouts. This is the same Braj.
While walking here, suddenly Krishna appears in front, That’s why people come to Braj. This is the same Braj. People are looking for God and God is looking for Himself here and Asking where the gopis are. This is the same Braj.
Gopi is not speaking because of shame and Shyam is opening her veil. Gopi further says that from the day I have seen her, the whole world feels like poison to me. where should i go what should i do?
There is only one thing that keeps coming in front of me day and night. When I sleep, when I wake up, the same image remains in front of me. which thing? whose image?
Gopal’s My mother-in-law Nand says in the house that what has happened to our daughter-in-law? The doctor was called, what disease do I have?
Vaidya saw the pulse and seeing that everything is fine. There is no disease There is only one disease –
anxiety ! If anyone shows me the form of Shyam, then I will give him Neel Mani. Whoever joins me with Shyam, join me with my beloved. I will give everything to him.
So say Shri Radhe Radhe’