सम्भालो दास को दाता ,
मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।
ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ।।
नजर क्या तुमसे टकराई,
जो नाजुक दिल लुटा बैठे,
इशारा किया किया तूने,
जो हम खुद को भूला बैठे,
मुकर जाओगे वादे से,
तो भक्तों की दुहाई है ।।
सम्भालो दास को दाता,
मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।
जमाना रूठ जाये पर,
ना रूठो तुम मेरे दाता,
पुराना जन्म-जन्मों का,
कन्हैया आप से नाता,
निगाहें याद में तेरी
सितमगर बाज आई हैं ।।
सम्भालो दास को दाता,
मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।
सबर की हो गई हद अब,
सहा जाता नहीं प्यारे,
नजर दिलदार से ज्यादा,
कोई आता नहीं प्यारे,
तुम्हारे द्वार पे भक्तो ने,
भी नजरें बिछाईं हैं ।।
सम्भालो दास को दाता ,
मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।
Giver to Samhalo Das,
Why have you forgotten me?
I don’t know why again today
Missed you.
Did the eye hit you,
The one who plundered the delicate heart,
You pointed
that we forgot ourselves,
You will go back on the promise,
So is the cry of the devotees.
Giver to Samhalo Das….
When the times get cold,
Don’t be angry, you are my giver,
of old births,
Kanhaiya relation with you,
I remember you
Sitgar has come.
Giver to Samhalo Das….
Now the limit of patience is gone,
Can’t bear it dear,
Eyes more than heartfelt,
no one comes dear
‘Kashi’ at your door,
Eyes are also laid.
Giver to Samhalo Das….