माँ कालरात्रि 1

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माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है।

माँ कालरात्रि देवी का रूप देखने में अत्यंत भयानक है, किन्तु माता का यह शक्ति रूप साधक को सदैव शुभ फल देता हैं। इसिलिए माँ के इस रूप को ‘शुभंकारी’ भी कहते है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

माँ कालरात्रि की उपासना
इस दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।

सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य का वह भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है। उसे अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।

माँ कालरात्रि की महिमा
माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।

इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है। माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए।

माँ कालरात्रि शुभंकारी देवी हैं। उनकी उपासना से होने वाले शुभों की गणना नहीं की जा सकती। हमें निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।माँ कालरात्रि – माँ दुर्गा का सातवां रूप
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त-शरीरिणी।
वामपादोल्ल-सल्लोह-लता-कण्टक-भूषणा,
वर्धन-मूर्ध-ध्वजा कृष्णा कालरात्रि-र्भयङ्करी॥

माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की उपासना का दिन होता है।

माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसलिए देविका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है।

माँ कालरात्रि का स्वरुप
कालरात्रि देवीके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं (निकलती रहती हैं) ।

ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।

माँ कालरात्रि की स्तुति
सातवाँ जब नवरात्र हो,
आनंद ही छा जाता।
अन्धकार सा रूप ले,
पुजती हो माता॥

गले में विद्युत माला है,
तीन नेत्र प्रगटाती।
धरती क्रोधित रूप माँ,
चैन नहीं वो पाती॥

गर्दभ पर विराज कर,
पाप का बोझ उठाती।
धर्म की रखती मर्यादा,
विचलित सी हो जाती॥

भूत प्रेत को दूर कर,
निर्भयता है लाती।
योगिनिओं को साथ ले,
धीरज वो दिलवाती॥

शक्ति पाने के लिए,
तांत्रिक धरते ध्यान।
मेरे जीवन में भी दो,
हलकी सी मुस्कान॥

नवरात्रों की माँ,
कृपा कर दो माँ।
नवरात्रों की माँ,
कृपा कर दो माँ॥

जय माँ कालरात्रि।
जय माँ कालरात्रि॥

सातवाँ जब नवरात्र हो,
आनंद ही छा जाता।
अन्धकार सा रूप ले,
पुजती हो माता॥

माँ कालरात्रि का मंत्र (Kaalratri Devi Mantra)
या देवी सर्वभू‍तेषु
माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ: हे माँ, सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है (मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ)। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।



Fierce flames of fire keep emanating from the breath of the mother’s nostrils. His vehicle is Gardabha (donkey).

The form of Goddess Kalratri is very scary to see, but this Shakti form of Mother always gives auspicious results to the seeker. That is why this form of mother is also called ‘Shubhankari’. Therefore, there is no need for the devotees to be frightened or panic in any way.

Worship of Maa Kalratri On this day the mind of the seeker remains situated in the ‘Sahasrar’ chakra. For this, the door of all the accomplishments of the universe starts opening.

The mind of the seeker situated in the Sahasrar Chakra is completely situated in the form of Mother Kalratri. He becomes a partaker of the virtue he receives from his interview. All his sins and obstacles are destroyed. He attains inexhaustible virtues.

Glory of Maa Kalratri Maa Kalratri is the destroyer of the wicked. Demons, demons, demons, ghosts, phantoms, etc. run away in fear just because of their remembrance. These planets are also going to remove obstacles. His worshipers never have fear of fire, fear of water, fear of animals, fear of enemies, fear of night etc. By their grace, he becomes completely fear-free.

By worshiping them, one gets freedom from all sins and enemies are destroyed, the speed increases. By keeping the deity of Maa Kalratri in one’s heart, one should worship with a sincere feeling. He should strictly follow Yama, Niyama and Sanyam. Purity of mind, speech and body should be maintained.

Maa Kalaratri is the auspicious goddess. The good things that come from their worship cannot be counted. We should constantly remember, meditate and worship her.Maa Kalaratri – The seventh form of Maa Durga Ekaveni japakarnapura nagna kharasthita, Long-shouldered, ear-eared, oily-bodied. left-footed-salloha-creeper-thorn-ornament, The black flag on the head of Vardhana is the frightening night of darkness

The seventh power of Maa Durga is known as Kalratri. The seventh day of Navratri is the day of worship of Maa Kalratri.

The nature of Maa Kalratri is very scary to see, but she always gives auspicious results. Hence Devika is also a name ‘Shubhankari’.

Form of Maa Kalratri The color of the body of Goddess Kalratri is black like a thick darkness. The hair on the head is scattered. There is a garland shining like electricity around the neck. He has three eyes. These three eyes are round like the universe. Bright rays like electricity keep on emitting (keep coming out) from them.

She bestows a boon to all with the raised right hand gesture. The lower right hand is in abhaya mudra. The upper left hand holds an iron fork and the lower hand holds a khadga (dagger).

Praise of Maa Kalratri When the seventh is Navratri, Only joy prevails. take the form of darkness, Worshiped mother

There is an electric garland around the neck, Three eyes revealed. Mother earth angry form, She can’t rest

sitting on the neck, Carrying the burden of sin. keeping the limits of religion, Gets distracted

removing the ghosts, Fearlessness brings. Take Yoginis with you She gives patience

to get power, Tantric meditation. Give in my life too, Slight smile

Mother of Navratras, Please mother Mother of Navratras, please mother

Jai Maa Kalratri. jai maa kaalratri

When the seventh is Navratri, Only joy prevails. take the form of darkness, Worshiped mother

Maa Kaalratri Ka Mantra (Kaalratri Devi Mantra) She is the goddess in all beings Mother is situated in the form of Kalaratri. Namasthasyai Namasthasyai “Om Namo Namo to her”

Meaning: O Mother, Ambe, who is everywhere and known as Kaalratri, I bow to you again and again (I bow to you again and again). O mother, deliver me from sin.

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