नाम-जप ही प्रधान साधन…….
मन न लगे तो नाम-भगवान् से प्रार्थना करनी चाहिए
‘हे नाम-भगवान् ! तुम दया करो, तुम्हीं साक्षात् मेरे प्रभु हो,
अपने दिव्य प्रकाश से मेरे अन्तःकरण के अन्धकार का नाश कर दो मेरे मन के सारे मल को जला दो तुम सदा मेरी जिह्वा पर नाचते रहो और नित्य-निरन्तर मेरे मन में विहार करते रहो . तुम्हारे जीभ पर आते ही मैं प्रेमसागर में डूब जाऊं, सारे जगत को, जगत के सारे सम्बन्धों को,
तन-मन को, लोक-परलोक को, स्वर्ग-मोक्ष को भूलकर केवल प्रभु के – तुम्हारे प्रेम में ही निमग्न हो रहूँ
लाखों जिह्वाओं से तुम्हारा उच्चारण करूँ, लाखों-करोड़ों कानों से मधुर नाम-ध्वनि को सुनूँ और करोड़ों-अरबों मनों से दिव्य नामानन्द का पान करूँ
तृप्त होऊं ही नहीं पीता ही रहूँ नाम-सुधा को और उसी में समाया रहूँ ‘