श्री राधा विजयते नमः
मैं जप करुंगी तो उनकी स्मृति मिल जायेगी,
ध्यान करुंगी तो उनका रुप मेरे हृदय में आ जायेगा,
तप करुंगी तो उनका वैभव मिल जायेगा,
त्याग से यश मिल जायेगा,
समाधि से अखंड शांति प्राप्त हो जायेगी,
ज्ञान से एकत्व, सत्य से उनकी सत्ता प्राप्त हो जायेगी,
परंतु प्रीती तो नही हि प्राप्त होगी री,,
अरी बहन ! तुम मेरा श्रृंगार करके मुझे रुपवती बना दोगी तो उनकी कामुकता मुझे मिल जायेगी !
नृत्य ,गान सुंदर स्वभाव एवं गुणो से उनकी क्षणिक रुचि आकर्षित कर लूंगी, परंतु उनका प्रेम कदापि नही मिलेगा री!
वात्सल्य से पुत्रत्व, सख्य से बंधुत्व, दास्य से स्वामित्व, प्रणय से पत्नीत्व मिल सकता है, परंतु प्रेम नहीं मिल सकता री !
भक्ति से तू उनका कृपा अनुग्रह, उपासना से उनका नैक्टय, सेवा से वे तेरे ऋणी हो जायेगे परंतु प्रेम तुझे नहीं मिलेगा री !
समर्पण से वे तेरे अभिभावक हो जायेगे, आज्ञापालन से संकोचहीनता, विनय से आशीर्वाद, स्तुति से वरदान, शिष्यत्व से से उपदेश भले ही प्राप्त हो जाये, इन साधनो से तुझे उनका प्रेम नही प्राप्त हो सकता, मै तो मात्र प्रीती चाहती हूं री !
प्रीती तो मात्र अपनत्व से ही प्राप्त होती है ! साधन तो पराये की विक्रय राशि है, उसका तो आधार ही पराया भाव है !
प्रेम इतनी दुर्लभ वस्तु है साधना के मोल मे नही मिलता है।
जय श्री राधे
Sri Radha Vijayate Namah
If I chant, I will get his memory. If I meditate, then his form will come in my heart, If I do penance, I will get their glory. Sacrifice will bring success, Eternal peace will be attained from Samadhi, Oneness from knowledge, their power will be attained by truth, But love will not be received,
Hey sister! If you make me Rupvati by making me up, then I will get her sexuality! I will attract his momentary interest with dance, singing, beautiful nature and qualities, but his love will never be found.
Affection can give sonship, friendship can give brotherhood, slavery can give ownership, love can give wifehood, but love cannot give Ri!
By devotion you will receive their grace, by worship their nativity, by service they will become indebted to you, but you will not get love.
By surrender they will become your guardians, by obedience without hesitation, blessings with humility, blessings from praise, even if you get instruction from discipleship, you cannot get their love from these means, I just want love!
Love is attained only by belongingness. The means is the sale amount of the alien, its basis is the foreign price.
Love is such a rare thing that it is not found in the cost of sadhana.
Jai Shri Radhe