हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
उस दिव्योन्माद अवस्था में आविर्भूत होता है जब श्रीकृष्ण मादनाख्य महाभाव सागर में डूबकर आत्म-विस्मृत हो जाते हैं, वे यह भी निश्चय नहीं कर पाते कि वे श्रीकृष्ण हैं या श्रीराधा।
हरे– राधाभावाविष्ट आत्म-विस्मृत श्रीकृष्ण बोल उठते हैं- हरे! राधे! ( श्रीकृष्ण का मन हरने से हरा नाम राधा का है और हरा-शब्द का सम्बोधन में ‘हरे’ जैसा रूप बनता है। “कृष्णस्य मनो हरतीति हरा राधा, तस्या: सम्बोधने हे हरे”)
कृष्ण– भीतर से जब श्रीकृष्ण कहते हैं हरे!- हे राधे! तो इसके उत्तर में श्रीराधाजी कहती हैं “कृष्ण” ( प्राण वल्लभ कृष्ण! कहो क्या बात है?)
हरे– श्री राधा जब ‘कृष्ण’ कह कर सम्बोधन करती हैं तो श्री कृष्ण चौंक उठते हैं और पुनः कहते हैं- हरे! (राधे! तुमने क्या कहा? मैं कृष्ण हूँ क्या? )
कृष्ण– श्री राधा जी कहती हैं- हाँ प्यारे तुम ‘कृष्ण’ हो।
कृष्ण-कृष्ण– श्रीकृष्ण आश्चर्यचकित हो कर पूछते हैं- राधे! तुम क्या कह रही हो “कृष्ण कृष्ण!”
“मैं कृष्ण हूँ! मैं कृष्ण हूँ?”
हरे हरे– हरे- हे राधे! आप भूल रहीं हैं । मैं तो ‘हरे’ राधा हूँ । ( कृष्ण नहीं हूँ। )
हरे राम– श्रीराधाजी कहती हैं आप राधा नहीं हो आप ‘हरे-राम’ हो, राधा-रमण हो। श्रीराधा को हास-परिहास एवं दर्शन आदि से रमित-आनंदित करने वाले हो-( रमयति तां नमें- निरीक्षणादिनेति राम:, तस्य सम्बोधने हे राम। )
हरे राम– श्रीकृष्ण दोहराते हुए कहते हैं ‘हरे राम’- मैं राधारमण हूँ? राधे! मैं कुछ निश्चय नहीं कर पा रहा हूँ, मैं कौन हूँ?
राम-राम– श्रीराधाजी विश्वास दिलाते हुए दो बार कहती हैं- ‘हाँ प्रीतम! आप राम हो, राम हो- राधारमण हो, राधारमण हो।
हरे-हरे– किन्तु श्रीकृष्ण तो श्रीराधाभाव-द्युति से ऐसे सुवलित हैं, कवलित हैं, आश्रयजातीय रसास्वादन में इतने विभोर तथा तन्मय हैं कि वे अपने आपको कृष्ण रूप में पहचान नहीं पाते। अतः फिर कहते हैं- हरे! राधे! मैं हरा हूँ- राधा हूँ, कृष्ण नहीं हूँ ।
कुछ वैष्णव इस बात को लेकर ही झगड़ते हैं कि ‘राम’ पहले हुए ‘कृष्ण’ बाद में पहले ‘हरे राम’ वाली पंक्ति आनी चाहिए, बाद में ‘हरे कृष्ण’ वाली।
उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि यहाँ ‘राम’ का अर्थ ‘रघुपति राजा राम’ नहीं है- ‘राम’ का अर्थ यहाँ ‘रमण करने वाले’ है।
समस्त वैष्णव जन को दासाभास का प्रणाम
जय श्री राधे । जय राधेगोविंद जी
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare. Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare.
Appears in that ecstatic state when Shri Krishna becomes self-forgetful by drowning in the ocean of madanakhya mahabhav, he cannot even decide whether he is Shri Krishna or Shriradha.
Hare- Radha-absorbed self-forgotten Sri Krishna speaks- Hare! Radhe! ( By taking away the mind of Krishna, the name Hara belongs to Radha and the word Hara forms the form ‘Hare’ in address. “Krishnasya mano hartiti hara Radha, tasya: sambodhane he Hare”)
Krishna- When Shri Krishna says Hare from within!- Oh Radhe! So in response Shriradhaji says “Krishna” (Prana Vallabh Krishna! Say what is the matter?)
Hare – When Shri Radha addresses by saying ‘Krishna’, Shri Krishna gets shocked and says again – Hare! (Radhe! What did you say? Am I Krishna?)
Krishna-Shri Radha ji says- Yes dear you are ‘Krishna’.
Krishna-Krishna-Shri Krishna asks in surprise – Radhe! What are you saying “Krishna Krishna!” “I am Krishna! I am Krishna?”
Hare Hare- Hare- Oh Radhe! you are forgetting I am ‘Hare’ Radha. (I am not Krishna.)
Hare Ram- Sri Radhaji says you are not Radha you are ‘Hare-Ram’, you are Radha-Raman. Be the one who delights Sri Radha with laughter and vision etc.-( Ramayati tan name- nirnikadineti rama:, tasya sambhodane he Rama. )
Hare Rama – Shri Krishna repeats saying ‘Hare Rama’ – I am Radharaman? Radhe! I can’t decide, who am I?
Ram-Ram-Shriradhaji assures and says twice- ‘Yes Pritam! You are Ram, you are Ram – you are Radharaman, you are Radharaman.
Hare-Hare- But Shri Krishna is so engrossed in the light of Shri Radha, he is so engrossed in the taste of the shelter castes that he does not recognize himself as Krishna. This is why it is said again – Hare! Radhe! I am green – I am Radha, not Krishna.
Some Vaishnavas quarrel only on the point that ‘Rama’ first becomes ‘Krishna’ and then the line ‘Hare Rama’ should come first, followed by ‘Hare Krishna’. They should know that here ‘Ram’ does not mean ‘Raghupati Raja Ram’ – ‘Ram’ here means ‘one who does Raman’.
Dasabhas’s salutations to all Vaishnavas Jai Shri Radhe . Jai Radhegovind ji