एक सखी बहुत सुंदर पायल लेकर स्वामिनी जू की सेवा में जाती है। मन में यही भाव आहा ! आज तो मेरे अहोभाग्य मुझे श्री जू के चरण छूने का सुअवसर मिल रहा । श्री जू के कोमल चरणों को छू पाऊँगी मैं। कहीँ मेरे स्पर्श से कोमलांगी श्री किशोरी जू को कष्ट तो न होगा। मन में यही भाव लिए श्री जू की और चलती है। हृदय में स्वामिनी जू का नाम ही ध्वनित हो रहा है। राधा राधा राधा ……..
मार्ग में उसे कान्हा रोक लेते हैँ और लेकिन उसे कान्हा भी आज श्री जू दिखाई पड़ते हैँ।
बोली -राधा जू मैं तो आपके पास ही आ रही थी। आज मुझे आपके चरणों को छूने का सौभाग्य मिला है। ये पायल मुझे आपके चरणों में अर्पित करनी है।
अरे बाँवरी ! तुझे क्या हुआ है मैं तुझे राधा दीख रहा हूँ । ये क्या लाई है तू राधा जू के लिए। सखी कहती है स्वामिनी जू ये पायल आपके लिए ही तो लाई हूँ । कान्हा उसके हाथ से पायल पकड़ लेते हैँ तो सखी कहती है
प्यारी जू मुझे अपने चरण न छूने दोगी । लाओ मैं पहना दूँ ।
कान्हा कहते हैँ बाँवरी तू आज भर्मित जान पड़ती है। यहां बैठ जा।
तभी कान्हा अपनी बाँसुरी निकालकर बजाने लगते हैँ। कान्हा की बांसुरी तो एक ही नाम पुकारती है राधा राधा राधा ……… देख मैं कान्हा हूँ ।
सखी कहती है – अच्छा कान्हा हो । कान्हा कान्हा कान्हा ……. यही बोलते हुए उठकर श्री जू के सन्मुख पहुंच जाती है।
श्री जू के पास जाकर उनसे कहने लगती है कान्हा ! मुझे फिर से बांसुरी सुनाओ ना । तुम बाँसुरी में प्यारी जू का नाम लेते हो तो मन करता है तुम्हारी बांसुरी सदा बजती ही रहे।
श्री जू उस सखी को पकड़ कर हिलाती हैँ। श्री जू कहती हैँ –तुझे आज क्या हो गया मैं कान्हा नहीं हूँ बांसुरी तो कान्हा के पास है। श्री जू के छूने से जाने क्या हो जाता है।
सखी उनके चरणों को पकड़ लेती है और कहती है कान्हा एक बार और सुनाओ मुझे बांसुरी में प्यारी जू का नाम। तभी वहां कान्हा आ जाते हैँ ।
राधा और कान्हा एक दूसरे को देख देख आनन्दित होने लगते हैँ। ये उन्हीं का ही तो प्रेम है जो सखी उनको अभिन्न देख रही है। कान्हा को प्यारी जू और प्यारी जू को राधा देख रही है। ये वास्तव में युगल प्रेम ही है जहाँ एक क्षण को भी प्रिया प्रियतम का वियोग ही नहीं है।
कभी ये बांसुरी श्यामा जू और श्यामसुन्दर के विरह ,प्रेम और व्याकुलता के भाव देखती है तो कभी उनकी सेवामयी और प्रेममयी सखियों के भाव।
जय जय श्री राधे श्री कृष्णं वन्दे
A friend takes a very beautiful anklet and goes to the service of the mistress Ju. That’s the feeling in my mind! Today, my good fortune, I am getting an opportunity to touch the feet of Mr. Ju. I will be able to touch the tender feet of Mr. Ju. Somewhere by my touch, Komalangi Shri Kishori Ju will not suffer. With this feeling in my mind, we move towards Mr. Xu. Only the name of Swamini Ju is reciting in the heart. Radha Radha Radha ……..
Kanha stops him on the way and but Kanha also sees Mr. Ju today.
Bid – Radha ju, I was coming to you only. Today I have the privilege of touching your feet. I have to offer this anklet at your feet.
Oh baby! What has happened to you, I am seeing you Radha. What have you brought for Radha Joo? Sakhi says that Swamini Joo has brought this anklet for you only. When Kanha grabs the anklet from her hand, Sakhi says Dear Ju, don’t let me touch your feet. Come let me wear it.
Kanha says Bawri, you seem to be confused today. Sit here
Then Kanha takes out his flute and starts playing it. Kanha’s flute calls only one name Radha Radha Radha Radha ……… See I am Kanha.
Sakhi says – good Kanha. Kanha Kanha Kanha……. While saying this, she gets up and reaches in front of Mr. Ju.
Kanha starts going to Mr. Ju and tells him! Play me the flute again, don’t you? If you take the name of the beloved Ju on the flute, then I feel like your flute continues to play forever.
Mr. Xu holds the friend and shakes it. Mr. Xu says – what happened to you today, I am not Kanha, so Kanha has the flute. Know what happens when you touch Mr. Ju.
Sakhi grabs their feet and says Kanha, tell me the name of Pyari Ju in flute one more time. Then Kanha comes there.
Radha and Kanha start rejoicing seeing each other. It is only the love of those who are seeing them integrally. Kanha is seeing lovely Ju and lovely Ju is being seen by Radha. This is actually a couple’s love where there is no separation of Priya Priyatam even for a single moment.
Sometimes this flute sees the feelings of separation, love and distraction between Shyama Ju and Shyamsundar, and sometimes the expressions of their service and loving friends.
Jai Jai Shri Radhe Shri Krishna Vande