मेरी और ठौर गति नाहीं तुम्हरोई दास कहाऊँ ॥
सदा-सदा में शरण तुम्हरी तुम्हरो जस नित गाऊँ।
तुम्हरे मृदुल चरण कमलन में निशिदिन शीश नवाऊँ ॥
तुम्हरो नाम लेत ही स्वामिनि तुम्हरोई ध्यान धराऊँ ।
तुम जानो सब उर अन्तर की मैं कहा विनय सुनाऊँ ॥
तुम्हरोई जय-जयकार होत जग महिमा कहि न अघाऊँ।
‘भक्तमालि’ को अब अपनाओ माया से छुटि जाऊँ ॥
हे श्री राधे आपकी मैं कृपा दृष्टि कब पाऊँगा। मेरी आपके अतिरिक्त अन्य कोई गति नहीं, मैं तुम्हारा ही दास कहलाता हूँ ।
मैं सदा सदा को तुम्हारी ही शरण में हूँ और नित्य तुम्हारा ही गुणगान करता हूँ तुम्हारे मृदुल चरण कमलों में ही रात दिन शीश को झुकाता हूँ ।
हे स्वामिनी! मैं आपका ही नाम लेता हूं और आपका ही ध्यान करता हूँ आप ही मेरे हृदय को भली प्रकार जानती हैं, अब मैं अपना विनय क्या सुनाऊँ ।
आपकी ही जय जयकार इस जगत में करता हुआ मैं कभी संतुष्टता नहीं पाता। श्री भक्तमाली की कहते हैं कि अब आप मुझे अपना लो जिससे मैं इस जगत के माया जाल से निकल कर आपके श्री चरणों नित्य सेवा को प्राप्त कर लूँ ।
I don’t have any more speed, where should I be your slave? I always take refuge in you as I sing every night. I bow my head every day at your soft lotus feet. Swamini, I will take care of you only after taking your name. You know everything about your difference, where should I tell you humility. I don’t want to miss the glory of the world. Adopt ‘Bhaktamali’ now and get rid of Maya.
O Shri Radhe, when will I be able to see your grace. I have no other speed except you, I am called your slave.
I always take refuge in you and always praise you, I bow my head day and night at your soft lotus feet.
O mistress! I take your name and meditate on you, you only know my heart very well, now what should I tell my prayers.
I never get satisfaction while singing your praises in this world. Shri Bhaktamali says that now you adopt me so that I can get out of the world’s illusion and get daily service at your feet.