जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है। आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है..
इसलिए नंदी के कान में कहते हैं मनोकामना
मान्यता है जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।
शिव के ही अवतार हैं नंदी
शिलाद नाम के एक मुनि थे, जो ब्रह्मचारी थे। वंश समाप्त होता देख उनके पितरों ने उनसे संतान उत्पन्न करने को कहा। शिलाद मुनि ने संतान भगवान शिव की प्रसन्न कर अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र मांगा। भगवान शिव ने शिलाद मुनि को ये वरदान दे दिया। एक दिन जब शिलाद मुनि भूमि जोत रहे थे, उन्हें एक बालक मिला। शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। एक दिन मित्रा और वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम आए। उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु हैं। यह सुनकर नंदी महादेव की आराधना करने लगे। प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि तुम मेरे ही अंश हो, इसलिए तुम्हें मृत्यु से भय कैसे हो सकता है? ऐसा कहकर भगवान शिव ने नंदी का अपना गणाध्यक्ष भी बनाया।
हर हर महादेव
Whenever we go to any Shiva temple, we often see that some people say their wishes in the ear of Nandi sitting in front of Shivling. This has become a tradition. The reason behind this tradition is a belief. Today we are telling you about the same, which is as follows..
That’s why in Nandi’s ear the wish is said It is believed that wherever there is a Shiva temple, Nandi is also established there because Nandi is the ultimate devotee of Lord Shiva. Whenever a person comes to the Shiva temple, he says his wish in Nandi’s ear. There is a belief behind this that Lord Shiva is an ascetic and he always stays in samadhi. In such a situation, there should not be any obstacle in his samadhi and penance. That’s why Nandi takes our wishes to Shiva. Due to this belief, people call Nandi their wish.
Nandi is the incarnation of Shiva There was a sage named Shilad, who was a celibate. Seeing the end of the lineage, their ancestors asked them to produce children. Shilad Muni, pleased with the child Lord Shiva, asked for an Ayonij and deathless son. Lord Shiva gave this boon to Shilad Muni. One day when Shilad Muni was plowing the land, he found a boy. Shilad named him Nandi. One day two sages named Mitra and Varun came to Shilad’s ashram. He told that Nandi is short-lived. Hearing this, Nandi started worshiping Mahadev. Pleased, Lord Shiva appeared and said that you are a part of me, so how can you be afraid of death? Saying this Lord Shiva also made Nandi his Ganadhyaksha.
Everywhere Shiva