राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट आने के बाद मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा : द्रौपदी जी को महामहिम बनाने का कारण समझ में नहीं आया.
तो, मैंने उसे बताया : इसमें कारण क्या समझना है ??
कारण वही है जो… भगवान के निषादराज को गले लगाने का था.
हनुमान और जामवंत जी को सेनानायक बनाने का था.
और, जो कारण माता शबरी के जूठे बेर खाने का था.
द्वापर युग में भी भगवान श्रीकृष्ण द्वारा महाबली भीम का हिडिम्बा से विवाह करवाने का था.
अर्थात… सनातन हिन्दू समाज के सभी वर्गों को ये एहसास दिलाना कि आप सब हमारे अपने हो..
किसी हिसा मूसा वालों के चक्कर में न पड़ो क्योंकि वनवासियों को सम्मान देना तो हमारी पुरानी सनातनी परंपरा रही है.
आखिर, हमारे गोत्र भारद्वाज, शांडिल्य, कश्यप आदि तो ऋषियो के ही नाम हैं जो वन में रहकर तपस्या किया करते थे..
अर्थात, वे भी आपकी ही तरह वनवासी थे.
परंतु… कालांतर में कुछ इलाके विकसित होकर शहर बन गए और हमारा रहन सहन और बोली चाली का तरीका थोड़ा बदल गया.
लेकिन… हम सब तो बेसिकली आदिवासी (आदि काल से निवास करने वाले वासी) ही हैं.
क्योंकि, हम हर सनातन हिन्दुओं के ओरिजिन अर्थात गोत्र तो जाकर ऋषि मुनियों से ही मिलते हैं जो कि वनवासी थे.
आखिर… ऋषि अगस्त्य, ऋषि कश्यप और बाल्मीकि आदि तो वनवासी ही थे.
और तो और… भगवान राम के दोनों पुत्र लव और कुश भी तो वन में ही रहे थे और वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा हुई थी.
इसीलिए… अपने किसी भी वनवासी भाई-बंधु को किसी को हिसा मूसा अथवा राइस बैग के चक्कर में आने की जरूरत नहीं है.
क्योंकि, कोई वनवासी भाई-बंधु अकेला नहीं है बल्कि वे सब भी हमारे महान सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े हुए हैं.
चाहे.. उनकी भाषा , बोली चाली अथवा पूजा पद्धति जो भी हो..
लेकिन, बेसिकली वे भी प्रकृति पूजक हैं और हम भी.
और, सनातन धर्म का मूल ही प्रकृति का सम्मान है.
इसीलिए, मेरी नजर में तो समय अपने आप को दुहरा रहा है..
और, पिछले कुछेक दशकों में जो सनातन हिन्दू धर्म के अनुयायियों में अवर्ण, सवर्ण , वनवासी आदि का जो विभेद कर इन्हें कमजोर करने का प्रयास किया था.
अब सबको गले लगाकर उस दूरी को पाटा जा रहा है..
जैसे कि… त्रेतायुग में हनुमान, सुग्रीव, जामवंत, माता शबरी, निषादराज और द्वापर में वनवासी हिडिम्बा को गले लगाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ा गया था.
इसीलिए… सभी सनातनी हिन्दू को इस बात का गर्व होना चाहिए कि मोदी जी के नेतृत्व हम अपने बिछुड़े परिवार को एक बार फिर से गले लगाकर अपना रहे हैं..
जिन्हें हमारे दुश्मनों ने साजिश वश भरमा कर हमसे थोड़ा दूर कर दिया था.
शायद मेरा मित्र .. मेरी बात से संतुष्ट हो गया..
क्योंकि, इसके बाद उसने कोई क्रॉस क्वेश्चन नहीं किया.
After the results of the presidential election, a friend of mine asked me: I could not understand the reason for making Draupadi ji His Excellency.
So, I told him: what is the reason for this?? The reason is the same… that was for embracing Nishadraj of God. It was to make Hanuman and Jamwant ji generals. And, the reason for eating the leftover plum of Mata Shabri.
Even in the Dwapar era, Lord Krishna had to get Mahabali Bhima married to Hidimba.
That is… to make all the sections of the Sanatan Hindu society feel that you are all our own.. Do not fall prey to the people of Musa because it has been our old Sanatani tradition to give respect to the forest dwellers.
After all, our gotra Bharadwaj, Shandilya, Kashyap etc. are the names of sages who used to do penance while staying in the forest. That is, they were also forest dwellers like you.
But… in course of time some areas developed into cities and our way of living and speaking changed a bit.
But… all of us are basically Adivasis (the people who have lived since time immemorial).
Because, we go to the origin i.e. gotra of every eternal Hindu and meet only the sages who were forest dwellers.
After all, sage Agastya, sage Kashyap and Valmiki were all forest dwellers.
What’s more… Both the sons of Lord Rama, Luv and Kush, also lived in the forest and their education was initiated there.
That is why… none of his forest-dweller brothers and sisters need to be in the midst of a hysteria or a rice bag. Because, no forest dweller is alone, but all of them are also associated with our great Sanatan Hindu Dharma.
Whatever their language, dialect or worship.
But, basically they are also nature worshipers and so are we.
And, the core of Sanatan Dharma is respect for nature.
That is why, in my view, time is repeating itself.
And, in the last few decades, those who had tried to weaken them by making discrimination of Avarna, Savarna, Vanvasi etc. among the followers of Sanatan Hinduism.
Now that distance is being bridged by embracing everyone.
For example, by embracing Hanuman, Sugriva, Jamwant, Mata Shabari, Nishadraj and Hidimba in Dwapar in Tretayuga, they were added to the mainstream of the society.
That is why… all Sanatani Hindus should be proud that under the leadership of Modi ji, we are embracing our separated family once again.. Whom our enemies had taken away from us by conspiracy.
Maybe my friend.. got satisfied with my point.. Because, after this he did not do any cross question.