आज छमा छम नाचूँगा मैं बाँध के घुंगरू पाओ में,
बिठा लिया बाबा ने मुझको अपने कर्म की छाव में,
पौंछ गई फर्याद मेरी कब जाने शिरडी गांव में,
बिठा लिया बाबा ने मुझको अपने कर्म की छाव में,
अधूरी रही न कोई आरजू हुई आज पूरी मेरी जुस्तजू,
तसाली है दिल है नजर को सकूं मेरी सांस है अब मेरे रूबरू,
मिल गई दुआ मेरे साई की श्याद मेरी दुआओ में,
बिठा लिया बाबा ने मुझको अपने कर्म की छाव में,
नजराना दू या दिल का जा वार दू,
करू का नजर आ जान वार दू,
जमीन वार दू या आस्मां वार दू ,
मैं साई पे सारा जहां वर दू,
ना देखि औकात जात मेरी रख लियाँ एप्निया पनाहो में,
बिठा लिया बाबा ने मुझको अपने कर्म की छाव में,
मुकदर का सनी सिकंदर हुआ,
जो सजदे में साई के जे सिर हुआ,
ठिकाना मेरा साई का दर हुआ,
मेरा द्वारका माई में घर हुआ,
वचन सुनु साई बाबा के मैं शिरडी की हवाओ में,
बिठा लिया बाबा ने मुझको अपने कर्म की छाव में,
Today I will dance Chhama Chham, I am in Ghungroo Pao of Dam,
Baba made me sit in the shadow of his karma,
When did my prayer go to Shirdi village,
Baba made me sit in the shadow of his karma,
There was no hope for anything incomplete, today my whole life is complete,
I can see my heart, my breath is now my face,
Found the blessings of my Sai in my prayers,
Baba made me sit in the shadow of his karma,
Give me a tribute or give me a blow to the heart,
I will kill my life after seeing Karu.
Give land wise or heaven wise,
Where can I give all the blessings on Sai?
Don’t look at my status, keep my apnea in shelter,
Baba made me sit in the shadow of his karma,
Muqdar’s Sunny was Sikandar,
Which happened in the head of Sai in Sajdah,
Where was my Sai’s rate,
I got home in Dwarka Mai,
Listen to the words of Sai Baba in the air of Shirdi,
Baba made me sit in the shadow of his karma,