आजा रे कन्हाई

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आजा आजा रे कन्हाई तूने काहे देर लगाई
हो….  ओ ….  ओ…..
आजा आजा रे कन्हाई ,  मुझको याद है तेरी आई
मैंने दी है ये पलके बिछा
साँवरिया  आजा ना देर लगा , ओ कान्हा….  आजा ना अब तरसा
   
आँख मेरी भर आई ना आया तू क्यूँ कन्हाई
कैसी है ये रुसवाई ओ साँवरिया…..
ओ कान्हा.. धडकन तुझे पुकारे अंखिया रस्ता तेरा निहारे
ओ छलिया मुरली की तान सुना
सांवरिया जल्दी से तू घर आ, ओ कान्हा आजा ना देर लगा
                       
लबों पे नाम तुम्हारा तु ही परिवार हमारा
तेरे बिन अब ना गुजारा ओ साँवरिया
ओ कान्हा…  क्या रखा बातो मे डोर मेरी तेरे हाथो मे
आकर मुझको गले से लगा
सांवरिया जल्दी से तू घर आ, ओ कान्हा आजा ना देर लगा

तू है कण कण समाया नरसी कर्मा ने बुलाया
तब भी तू दौडा  आया ओ साँवरिया….
ओ कान्हा…  जल्दी से घर आ रे दास विनायक तुझे पुकारे
तूने वादा किया जो निभा साँवरिया आजा ना देर लगा

लेखक  – विजय नायक ‘ विनायक  मो. :-  99833 – 63005

Aaja aaja re kanhai, why did you delay?
Yes…. …..
Aaja aaja re kanhai, I remember your aai
I have given these eyelashes
Saawariya aaja na late laga, oh kanha….

My eyes did not come, why are you Kanhai
How is this Ruswai O Saawariya…..
Oh Kanha…
O deceived murli heard
Saawariya, you come home quickly, O Kanha aaja na late laga

Your name is your family.
I can’t live without you, O Saawariya
Oh Kanha…
came and hugged me
Saawariya, you come home quickly, O Kanha aaja na late laga

You are every particle called Narsee Karma.
Even then you ran Aaya O Saawariya….
Oh Kanha… come home quickly Das Vinayak call you
You promised that what did you do, it did not take long

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