आया नहीं भिजवाया गया हूँ

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आया नहीं भिजवाया गया हूँ,
गरीबी का बेशक सताया गया हु,
गरीबी झुका दे मुझको ये दम नहीं,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

तेरे तन पे वसरत सुनहरे मेरे तन पे फ़टे पुराने,
तू छपन भोग लगाए मेरे घर में नहीं है दाने,
भूख झुकादे मुझको ये दम नहीं है,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

तू महलो का है राजा मेरी टूटी फूटी कुटियाँ,
तेरे सिर पे छतर विराजे मेरी सुखी लम्बी कुटियाँ,
अमीरी झुकादे मुझको ये दम नहीं है,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

तेरी थी क्या लाचारी जो ली न खबर हमारी,
क्या डर गये कृष्ण मुरारी तेरा यार है एक भिखारी,
लाचारी झुकादे मुझको ये दम नहीं है,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

हर छोड़ सिंघासन आये और मित्र को गले लगाये,
सिंगशान पर बैठाये असुवन से पाँव धुलाये,
कन्हैया के दिल में देखो जरा हम नहीं है,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

रहे होठ खावोश आंखे है बोली,
छीन पोटली जब सुदामा से खो ली,
भाभी ने क्या भिजवाया क्या भेट में तुम लाये,
क्यों छुपा रहे हो पोटली क्यों दीखते हो गबराये,
भाभी के भेजे कंडूल कान्हा ने माथ लगाए,
बस दो मुठी ही खाये अपने दो लोक लुटाये,
फिर वस्त्र राज सी लेकर मित्र को वो पहनाये,
छतीश प्रकार के व्यंजन अपने हाथ खिलाये,
आवा भगत करि जब सब देख के चकराए,
गये करने सैन सुदामा पर तनिक नहीं सो पाये,
घर भूखी पत्नी बचे ये सोच सोच गबराये,
आये सैन कक्ष में कान्हा सब कुशल बतलाये,
हर छोड़ के सारे बंधन फिर मित्र के पाँव दबाये,
विश्कर्मा को भूलबाये और मित्र के घर भिजवाए,
वो टूटी फहुति कुटियाँ सोने का महल बनवाये,
जब लौट सुदामा आये महल देख हरषाये,
सजी धजी घरवाली को वो पहचान ना पाए,
कोई यार मेरे रोमी श्याम सा नहीं है,
तू यार मेरा है ये कम नहीं है,
आया नहीं भिजवाया गया हूँ

Haven’t been sent
Of course I have been tormented by poverty,
Let me bow down to poverty, I do not have this strength,
You are mine, it is not less,
did not come

Golden spring on your body, old torn on my body,
Don’t have grains in my house,
I don’t have the guts to bow down to hunger.
You are mine, it is not less,
did not come

You are the king of palaces, my broken huts,
My happy long huts will sit on your head with an umbrella,
I don’t have the power to bow down to riches,
You are mine, it is not less,
did not come

Was it your helplessness that did not take our news,
Are you scared Krishna Murari is your friend a beggar,
I don’t have the power to bow down to helplessness,
You are mine, it is not less,
did not come

Every left, come to Singhasan and hug your friend,
Sitting on Singshan, wash your feet with Asuvan.
Look in Kanhaiya’s heart, we are not there,
You are mine, it is not less,
did not come

The lips are silent, the eyes have said,
When the bag was snatched from Sudama,
What did the sister-in-law send, did you bring in the gift,
Why are you hiding, why do you see the bundle,
Kandul Kanha sent her sister-in-law to her forehead,
Eat only two fists, loot your two people,
Then take the clothes as royal and wear them to the friend,
Feed your hands the chhatish type of dishes,
Awa Bhagat Kari when everyone is baffled by seeing,
Went to San Sudama but could not sleep at all,
The thought of leaving a hungry wife at home should be terrified.
Kanha came to the San room and told everyone well,
After leaving all the bonds, then press the feet of the friend,
Forget Vishkarma and send it to a friend’s house.
Make those broken hutti huts a palace of gold,
When Sudama came back, he was glad to see the palace.
He could not recognize the decorated housewife,
No friend is like my romi shyam,
You are mine, it is not less,
did not come

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