नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।
अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून॥
शून्य के पहले अंक के आने पर वह दस गुना हो जाता है। अर्थात् रामनाम का जाप करते ही साधन दस गुना लाभ देने वाले हो जाते हैं।
परम पिता परमात्मा को याद करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है। एक राम शब्द मे ध्यान साधना और भक्ति भरी हुई है सब धर्म ग्रंथ वेद और शास्त्र समाये हुए हैं। रामायण पुरी पढ कर तो हम न भी समझे। लेकिन एक राम शब्द को हर क्षण पढ लें। राम को अपने दिल में धारण कर ले, राम राम जपते जपते राम मेरे भगवान् है एक दिन भगवान राम हमारे अन्दर की जागृति कर देंगे। राम नाम प्रेम का लहराता सागर है। राम राम राम मेरे राम मेरे प्रभु राम भगवान राम
साधक परमात्मा से बात करते हुए कहता है कि हे परमात्मा जी ये हाड मास की काया है। मुझे इस काया में एक भी शुभ गुण दिखाई नहीं देता। यह विकारों से भरी हुई काल कोठरी है। इस कोठरी को भक्ति की ज्योत से उजागर करना है। जिस से इस मे शान्ति स्थापित हो जाए। साधक कहता है कि इस कोठरी को कितना ही खिलाओ पिलाओ इस की भुख शान्त होने वाली नही है। यह दिन प्रति दिन बिगड़ती ही जाती है। राम नाम का रस ऐसा मिठा हैं। राम नाम के रस को पिने पर जन्म जनमान्तर की भुख शान्त हो जाती है। जिसने भुल से भी एक बार राम नाम का रस पी लिया उसके लिए संसार के सब पदार्थ फीके हैं।राम नाम का रस पीने वाला सबसे पहले कर्तव्य में अपने भगवान् को ढुंढता है। साधक कहता है कि मेरे कर्म में मेरा भगवान् छुपा बैठा है। भगवान् साधक को कर्म निष्ठ बनाते , समर्पण भाव, सत्यता परमात्मा राम मे छुपा हुआ है।राम नाम जपते जपते साधना मार्ग आ जाता है साधक पर यह परमात्मा की सबसे बडी कृपा है। राम नाम में गुरु बैठे हैं
राम राम राम गिर गिर कर जिसने गिरने का मज़ा चखा है। वहीं सत्य स्वरूप में खङा रह सकता है। मै भी सोचा करती हूं कि मुझ में ये मै कोन है।ये मै सबके अन्दर विराजता है। मै चार पांच दिन तक उठते-बैठते हर क्षण सोचती रही ये मै कोन है जो क्षण भर में अपने आप प्रकट हो जाता है। मैने तो यही जाना कि ये मै मेरा भगवान् नाथ स्वामी ही है। ये तु और मै मिलकर तुम बन जाता है तब भक्त झुम कर गाता है मेरे प्रभु तुम ही तुम हो, तुम मेरे दिल की धड़कन हो।
राम का नाम रटते रहो जीवन में जो चाहोगे वो मिल जायगा दही से शीतल है राम नाम अत्यन्त मीठा है राम नाम सबके दिल को तृप्त करता है, राम नाम तेरी कुटिया को रोशन कर देगा नाम भगवान् में भक्त लीन हो है। उस समय शरीर गोण है। हर ध्वनि राम धुन बन जाएगी ।हर स्पर्श राम का स्पर्श बन जायेगा। वस्तु विशेष मे राम की झलक पाओगे जैसे सुतिक्षण जी राम नाम में रमे हुए थे वैसे ही भक्त भगवान राम का बन जाना चाहता है अन्तर्मन में और बाहर राम धुन सुनाई देगी। नैन नीर बहाएंगे।
राम का नाम हमारा आज सुधार देता है। हमारा आज राम का नाम ऐसे सुधारता है। जब हम राम राम राम हरे राम जय श्री राम कहते हैं। तब हमारे विचार पवित्र हो जाते हैं। विचार की पवित्रता सबसे बड़ा धन है। राम नाम कर्म निष्ठ बनाता है जिस समय हम विचारों से पवित्र हो जाएगे वह घङी सबसे शुभ घङी है। राम का नाम लेते लेते हमारे भाव में भक्ति आ जाएगी। हमारी भक्ति सदृढ होगी तो हमारा जन्म और मृत्यु दोनों ही सुधर जाएगे
ये मेरे प्राण नाथ प्यारे की कृपा मुझ पर बरस रही है। आज शरीर जनीत सब क्रिया में मुझे बाहर और भीतर परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ दिखाई दे रहे हैं।जय श्री राम अनीता गर्ग
Name Ram is numbered, all resources are desolate. The numbers are gone, not a few hands, the numbers remain ten times.
When the first digit of zero comes, it becomes ten times. That is, as soon as the name of Ram is chanted, the means become beneficial tenfold.
परम पिता परमात्मा को याद करने के लिए किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं है। एक राम शब्द मे ध्यान साधना और भक्ति भरी हुई है सब धर्म ग्रंथ वेद और शास्त्र समाये हुए हैं। रामायण पुरी पढ कर तो हम न भी समझे। लेकिन एक राम शब्द को हर क्षण पढ लें। राम को अपने दिल में धारण कर ले, राम राम जपते जपते राम मेरे भगवान् है एक दिन भगवान राम हमारे अन्दर की जागृति कर देंगे। राम नाम प्रेम का लहराता सागर है। राम राम राम मेरे राम मेरे प्रभु राम भगवान राम साधक परमात्मा से बात करते हुए कहता है कि हे परमात्मा जी ये हाड मास की काया है। मुझे इस काया में एक भी शुभ गुण दिखाई नहीं देता। यह विकारों से भरी हुई काल कोठरी है। इस कोठरी को भक्ति की ज्योत से उजागर करना है। जिस से इस मे शान्ति स्थापित हो जाए। साधक कहता है कि इस कोठरी को कितना ही खिलाओ पिलाओ इस की भुख शान्त होने वाली नही है। यह दिन प्रति दिन बिगड़ती ही जाती है। राम नाम का रस ऐसा मिठा हैं। राम नाम के रस को पिने पर जन्म जनमान्तर की भुख शान्त हो जाती है। जिसने भुल से भी एक बार राम नाम का रस पी लिया उसके लिए संसार के सब पदार्थ फीके हैं।राम नाम का रस पीने वाला सबसे पहले कर्तव्य में अपने भगवान् को ढुंढता है। साधक कहता है कि मेरे कर्म में मेरा भगवान् छुपा बैठा है। भगवान् साधक को कर्म निष्ठ बनाते , समर्पण भाव, सत्यता परमात्मा राम मे छुपा हुआ है।राम नाम जपते जपते साधना मार्ग आ जाता है साधक पर यह परमात्मा की सबसे बडी कृपा है। राम नाम में गुरु बैठे हैं राम राम राम गिर गिर कर जिसने गिरने का मज़ा चखा है। वहीं सत्य स्वरूप में खङा रह सकता है। मै भी सोचा करती हूं कि मुझ में ये मै कोन है।ये मै सबके अन्दर विराजता है। मै चार पांच दिन तक उठते-बैठते हर क्षण सोचती रही ये मै कोन है जो क्षण भर में अपने आप प्रकट हो जाता है। मैने तो यही जाना कि ये मै मेरा भगवान् नाथ स्वामी ही है। ये तु और मै मिलकर तुम बन जाता है तब भक्त झुम कर गाता है मेरे प्रभु तुम ही तुम हो, तुम मेरे दिल की धड़कन हो। राम का नाम रटते रहो जीवन में जो चाहोगे वो मिल जायगा दही से शीतल है राम नाम अत्यन्त मीठा है राम नाम सबके दिल को तृप्त करता है, राम नाम तेरी कुटिया को रोशन कर देगा नाम भगवान् में भक्त लीन हो है। उस समय शरीर गोण है। हर ध्वनि राम धुन बन जाएगी ।हर स्पर्श राम का स्पर्श बन जायेगा। वस्तु विशेष मे राम की झलक पाओगे जैसे सुतिक्षण जी राम नाम में रमे हुए थे वैसे ही भक्त भगवान राम का बन जाना चाहता है अन्तर्मन में और बाहर राम धुन सुनाई देगी। नैन नीर बहाएंगे। राम का नाम हमारा आज सुधार देता है। हमारा आज राम का नाम ऐसे सुधारता है। जब हम राम राम राम हरे राम जय श्री राम कहते हैं। तब हमारे विचार पवित्र हो जाते हैं। विचार की पवित्रता सबसे बड़ा धन है। राम नाम कर्म निष्ठ बनाता है जिस समय हम विचारों से पवित्र हो जाएगे वह घङी सबसे शुभ घङी है। राम का नाम लेते लेते हमारे भाव में भक्ति आ जाएगी। हमारी भक्ति सदृढ होगी तो हमारा जन्म और मृत्यु दोनों ही सुधर जाएगे ये मेरे प्राण नाथ प्यारे की कृपा मुझ पर बरस रही है। आज शरीर जनीत सब क्रिया में मुझे बाहर और भीतर परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ दिखाई दे रहे हैं।जय श्री राम अनीता गर्ग