बाँह थामो मेरी हे कन्हईया,
बीच मंझधार में हम खड़े हैं।
हो दयालु बड़े तुम हे मोहन,
कष्ट मेरे हरो आज गिरधर,
अब तेरा ही सहारा है हमको,
राह दूजी ना देती दिखाई।
तुम कृपालू बड़े हो हे माधव,
दीन पर भी दया आज कर दो,
बाँह थामो मेरी हे…..
ज़िंदगी का भरोसा ना पल का,
बस तेरे नाम का आसरा है।
सुध तुम्हारी ना भूले कभी अब,
सिर्फ़ इतनी कृपा हम पे कर दो,
बाँह थामो मेरी हे….
।इति श्रीगोविंदअर्पणामस्तू।।
Hold my arm, O Kanhaiya,
We are standing in the middle.
You are kind big, O Mohan,
My dear today Girdhar,
Now your only support is us,
The path did not seem to be visible.
You are kind, O Madhav,
Have mercy on the poor today,
hold my arm…..
Life’s trust is not of the moment,
There is only hope in your name.
Never forget your care now,
Just give this much grace to us,
Hold my arm…
.Iti shrigovindaarpanamastu..