बहे सत्संग का दरिया,
नहा लो जिस का जी चाहे,
करो हिमत लगा डुबकी,
नहा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया
हज़ारो रतन है इसमें इक से इक बड़याला,
नहीं कोई दर बीमारी का लगा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया………
खजाना वो मिले इसमें नहीं मुंकिन ज़माने में,
किसी का डर नहीं कुछ भी उठा लो जितना जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया…
मिटे संसार का चकर लगे नहीं मौत की टकर,
करे है भव सागर करा लो जिसका जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया……
बना दे चोर से साधु मिटावे दुष्ट मन की,
कटे जड़ मूल पापो का कटा लो जिसका जी चाहे,
बहे सत्संग का दरिया
River of Satsang flowing,
Take a bath whomever you want,
Do you dare take a dip,
Take a bath as much as you want
river of satsang
There are thousands of rattans in this one to one big,
No, take any rate of illness as much as you want,
The river of satsang flows………
The treasure he got was not in it, but in the time,
Don’t be afraid of anyone, pick up anything as much as you want,
The river of satsang flows…
Don’t be confused by the lost world,
Do whatever you want, make the ocean
River of Satsang flowing……
Make a sage wipe away the evil mind from the thief,
Cut the root of the original sins, whichever one wants,
river of satsang