बैठे हो क्यों ओ सांवरे हमसे निगाहें फेर कर
कुछ तो इशारा कीजिये
अपने गले लगाइये गलती हमारी भूल कर
अपनी शरण में लीजिये
बैठे हो क्यों ओ सांवरे ………….
मेरा वजूद कुछ नहीं तेरे बिना ओ सांवरे
पायी है धूम में सदा मैंने तुम्ही से छाँव रे
बैठे हो क्यों ओ सांवरे ………….
कल भी तुम्हारी आस थी अब भी तुम्हारी आस है
जग के गरज में क्यों करूँ जब तू हमारे पास है
बैठे हो क्यों ओ सांवरे ………….
पुतले हैं पाप के प्रभु आखिर तो हम इंसान हैं
क्या है गलत और क्या सही माधव हमें ना ज्ञान है
बैठे हो क्यों ओ सांवरे ………….
Why are you sitting, oh dusk, turn your eyes away from us
hint at something
Embrace your mistake forgetting us
take refuge in yourself
Why are you sitting?
my existence is nothing without you, o beautiful
I have always found shade from you
Why are you sitting?
You had hope yesterday, you still have hope
Why should I do in the thunder of the world when you are with us
Why are you sitting?
effigies are the lords of sin, after all we are human
What is wrong and what is right Madhav we have no knowledge
Why are you sitting?