विमुख शिखर से धारा धाये,राधा हरि सम्मुख लाये,
बाँसुरिया हरि साँवरिया की राधा गोरी सुनवा ले,
बाजे रे मुरलिया बाजे रे,
अधर धरे मोहन मुरली पर,
होंठ पे माया बिराजे,
हरे-हरे बाँस की बनी मुरलिया,
मरम मरम को छुए अंगुरिया,
चंचल चतुर अंगुरिया जिस पर,
कनक मुंदरिया साजे,
बाजे रे मुरलिया बाजे …
पीली मुंदरी अंगुरी शाम,
मुंदरी पर राधा का नाम,
आकर देखे सुने मधुर स्वर,
राधा गोरी लाजे,
बाजे रे मुरलिया बाजे …
भूल गई राधा भरी गगरिया,
भूल करे गोधन को साँवरिया,
जाने न जाने तेरो (?) जाने,
जाने अध जग राजे,
बाजे मुरलिया बाजे,
बाजे रे मुरलिया बाजे ..
सुरेश कुमार खोड़ा झोटवाड़ा जयपुर
The stream flowed from the opposite peak, Radha brought in front of Hari,
Listen to Radha Gori of Bansuria Hari Saawariya,
Baje Re Murliya Baje Re,
With impatience on Mohan Murli,
Maya biraje on lips,
Muraliya made of green bamboo,
Anguria touching maram maram,
The playful clever Anguria on which,
Baje re murliya baje…
Yellow Mundri Anguri Sham,
Radha’s name on Mundri
Come and see and hear the sweet voice,
Radha gori laje,
Baje re murliya baje…
Forgot Radha Bhari Gagaria,
Forget the cow as Saawariya,
Don’t know your (?) know,
Jaane half world king,
Baje Murliya Baje,
Baje re murliya baje..
Suresh Kumar Khoda Jhotwara Jaipur