आनंद ही आनंद बरस रहा बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
धन भाग्य हमारे आज हुए शुभ दर्शन ऐसे सद्गुरु के ।
पावन कीनी यह भूमि बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
क्या रूप अनुपम पायो है जैसे तारो बीच है चंदा ।
सुरत मूरत मोहन वारी बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
अंतरा
क्या ज्ञान छटा है जैसे इंद्र घटा बरसत वाणी अमृतधारा ।
वो मधुरी मधुरी अजब धुनी बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
गुरु ज्ञान रूपी जल बरसाकर गुरु धर्म बगीचा लगा दिया ।
गुरु नाम रूपी जल बरसाकर गुरु प्रेम बगीचा लगा दिया ।
खिल रही है ऐसी फुलवारी बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
Balihari is showering joy with such a Sadguru.
We have good fortune today and have good darshan of such a Sadguru.
This holy land belonged to such a sacrificial master.
What form is unique, like the stars are in the middle of the moon.
Surat Murat Mohan Wari Balihari is such a master.
Antara
What knowledge is there like Indra, raining rain, the voice of Amritdhara.
That Madhuri Madhuri, Ajab Dhuni Balihari, of such a Sadguru.
After showering water in the form of Guru Gyan, he planted Guru Dharma Garden.
After showering water in the form of Guru Naam, he planted Guru Prem Garden.
Such flowers are blooming, Balihari of such a Sadguru.