बन्दे चल सोच समझ के क्यों ये जनम गवाय,
बार बार ये नर्तन चोला तुझे न मिलने पाय ॥
बचपन बीता आई जवानी खूब चैन से सोया,
गुजर गई अनमोल घडी तो देख बुढ़ापा रोया,
इस योवन पे नाज तुझे वो मिटटी मैं मिल जाये,
बन्दे चल सोच समझ के……
झूठ कपट से जोड़ा तुमने अपना माल खजाना,
काम क्रोध मध् लोभ मैं फास कर प्रभु को न पहचाना,
मुठ्ठी बांध के आया जग में हाथ पसारे जाए,
बन्दे चल सोच समझ के…..
ये दुनिया है सराय है मुशाफिर छोड़ इसे है जाना,
कोई किसी का नहीं जगत मैं ये तन है बेगाना,
उड़जाये पिंजरे का पंछी पिंजरा साथ न जाये,
बन्दे चल सोच समझ के…….
Guys, let’s go and understand why this birth was lost,
You could not find this dancing chola again and again.
Childhood passed and youth slept peacefully,
Seeing the priceless clock that passed, old age cried,
Proud of this youth, you may find that soil in me,
Guys let’s go with our thoughts….
You have treasured your wealth with lies,
I do not recognize the Lord by being trapped between lust, anger and greed.
Hands should be spread in the world by tying fists,
Let’s go with our thoughts and understand…..
This world is an inn.
No one belongs to anyone, this is my body in the world.
Fly away, the bird of the cage does not go with the cage,
Let’s go with our thoughts and understand……