भव सागर को पार करे .ऐसा कुछ उपचार करे ।
मारुती नंदन की आओ, हम सब जय जयकार करे,
शंकर सुमन केसरी नंदन ,अंजनी माता के प्यारे ।
चरणों में करने वंदन आये हम तेरे द्वारे,
फल समझा और निगल गए ,सूरज को तो बचपन में ।
वही तुम्हारी बाल छवि,बसी हुई मेरे मन में,
राम मिलाकर सुग्रीव से , काम बनाये दोनों के ।
मेरी भी विनती सुन लो ,हार गया मै रो-रो के,
सीता माँ का खोज किया ,सोने की लंका जारी ।
अब तो मेरे भी सुध लो ,ओ भक्तन के हितकारी,
लक्ष्मण को जब बाण लगी ,लाय हिमालय से बूटी ।
मेरे भी दुःख दूर करो ,ओ दुःख भंजन मारुती,
अहिरावण को दिया पछाड़ ,नाग -पाश की व्यथा टली ।
शरण तिहारे मै आया , दया करो बजरंग बली,
राम -सिया के भक्त अनुठे ,चीर के छाती दिया प्रमाण।
हाथ जोड़ मै करूँ वंदना ,कृपा करो मुझपर हनुमान
May God cross the ocean. Do some such treatment.
Come, let us all cheer for Maruti Nandan,
Shankar Suman Kesari Nandan, beloved of Anjani Mata.
We have come through you to pay obeisance at your feet.
Got the fruit and swallowed it, the sun was in childhood.
The same image of your child, settled in my mind,
By mixing Ram with Sugriva, make work for both.
Listen to my request too, I was defeated by crying,
Searched for Mother Sita, continued the golden lanka.
Now take care of me too, O benefactor of the devotee,
When Lakshmana was hit with an arrow, he brought a booty from the Himalayas.
Take away my sorrows, O sorrowful Maruti,
Ahiravan was left behind, the pain of Nag-loop was averted.
I came to the shelter, have mercy, Bajrang Bali,
Devotees of Ram-Siya are unfaithful, the proof given to the chest of the rag.
I should bow my hands, please Hanuman on me