कंकाली कंकाली कहती है दुनियां कंकाली काली का धाम,
सूंदर छटा में प्रगति है मैया कंकाली माँ का है नाम,
चल न रे कंकाली धाम,
भोपाल रसेन के बीच में माई,
अपन भगतो को तारने आई,
तीन देव को संग में लाइ,
पावन गोदावल धाम,
अरे चल न रे कंकाली धाम,
बीस गुजा नर मुंडो की माला,
माँ ने रूप धरा विकराला,
माँ के अखंड ज्योत को तू भी करना प्रणाम,
चल न रे कंकाली धाम,
सब की सुनी है गॉड है भर्ती माँ ममता की किरपा है करती,
नवराति में खीर पूड़ी के भंडारे सुबहो शाम,
चल न रे कंकाली धाम,
चुनरी चङाना बंधन लगना,
गोबर से उलटे हाथ रंगना,
अरे कर देगी माँ जब से इधर धन,
बने गे तेरे काम,
चल न रे कंकाली धाम,
Kankali Kankali says that the world is the abode of Kankali Kali,
There is progress in the beautiful shade, Maiya is the name of Kankali mother,
Let’s not go to Kankali Dham,
Mai in the middle of Bhopal Rasen,
Came to taunt my devotees,
brought the three gods together,
Holy Godaval Dham,
Oh let’s not re Kankali Dham,
garland of twenty-five male heads,
Mother took shape
You must also bow to the eternal flame of the mother,
Let’s not go to Kankali Dham,
Everyone has heard God is recruiting mother Mamta’s mirpa,
In Navrati, the morning and evening bhandara of Kheer Puri,
Let’s not go to Kankali Dham,
chunri channa bondage,
Reverse hand painting with cow dung,
Hey mother will make money here,
Your work will be done,
Let’s not go to Kankali Dham,