चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई

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चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई,
वहाँ हर मर्ज की मिलती है मुफत दवाई,
चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई,

करले सबुरी थोड़ी पायेगा चैन तू,
साई के रहते क्यों इतना बेचैन क्यों,
यही है राम यही है श्याम यही है कृष्ण कन्हाई,
चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई,

दुखो को ले कर के खुशिया बाँट ते है,
शिरडी में रह कर के मुसीबत काट ते है,
बात उस की नहीं कट ती जिसने भी अर्जी लगाई,
चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई,

सवाली बन कर के तू अगर जाएगा,
बेधक दावा है खाली नहीं आयेगा ,
सब कुछ मिला उसको जिसने भी झोली फैलाई,
चलो चलो दवारियाँ माई जहा बैठे है साई,

Let’s go to the doors of Mai where Sai is sitting,
There you get free medicine for every merge,
Let’s go to the doors of Mai where Sai is sitting,

Karle saburi will find you some peace,
Why so restless in Sai’s life?
This is Ram, this is Shyam, this is Krishna Kanhai,
Let’s go to the doors of Mai where Sai is sitting,

Taking sorrows and sharing happiness,
By staying in Shirdi, the troubles are cut.
It doesn’t matter to whoever applied,
Let’s go to the doors of Mai where Sai is sitting,

If you go by being a question,
The piercing claim will not come empty,
He got everything, whoever spread his bag,
Let’s go to the doors of Mai where Sai is sitting,

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