दानी हो कर क्यों चुप बैठा ये कैसी दातारि रे,
श्याम बाबा तेरे भक्त दुखारी रे,
दिन फलके जो वृक्ष सोहे बिन बनते नारी रे,
श्याम बाबा तेरे भक्त दुखारी रे,
श्याम सूंदर ने खुश हो कर तुझे अपना रूप दिया है,
और हमने इस रूप का दर्शन सो सो बार किया है,
हमरे संकट दूर न हो तो यो बदनामी थी रे,
श्याम बाबा तेरे भक्त दुखारी रे,
ना चाहु मैं हीरे मोती ना चाहु मैं सोना,
मेरे आँगन भेज दे दाता तुझसे एक सलोना,
हम को क्या जो वन उपवन में फूल रही फुलवाड़ी रे,
श्याम बाबा तेरे भक्त दुखारी रे,
जब तक आशा पुराण ना हो दर से हम न हटे गे,
सब भगतो को बहका देंगे हु भी नाम ना लेंगे,
सोच ले तू भक्तो का पलड़ा सदा रहा बाहरी रे,
श्याम बाबा तेरे भक्त दुखारी रे,
Why did he sit silent as a charity?
Shyam Baba, your devotee Dukhari Re,
The tree that blossoms in the day becomes a woman without sleeping,
Shyam Baba, your devotee Dukhari Re,
Shyam Sundar has happily given you his form.
And we have seen this form so many times,
If our troubles are not removed, then it was a slander.
Shyam Baba, your devotee Dukhari Re,
I don’t want diamonds, pearls, I don’t want gold,
Send me a courtyard, giver a salona from you,
What to us, the flower garden that is flourishing in the forest garden,
Shyam Baba, your devotee Dukhari Re,
We will not move away from the rate until there is Asha Purana,
I will deceive all the devotees, even if I will not take the name,
Think that you are always the outer ray of the devotees,
Shyam Baba, your devotee Dukhari Re,