दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
बिहरिजी मुझे बृंदावँ बुला क्यूँ नही लेते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
तुम्हे ही ढूँढती रहती है नज़ारे मेरी,
बिन तेरे कुच्छ भी नही प्यारे ज़िंदगी मेरी,
आके एक बार ही सिने से लगा क्यूँ नही लेते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
सुना है पापी भी टार जाते है तेरे दर्र आके,
मई आ गया हू जमाने की ठोकरे ख़ाके,
अपनी चौखट का मुझे पत्थर बना क्यूँ नही लेते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
मई तक गया हू जमाने के ताने बुनबुन कर,
हो गया बावरा तेरे दर्र का बस तेरा बन कर,
इस जगत जाल से मूहको भी बचा क्यूँ नही लेते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
बिहरिजी मुझे बृंदावँ बुला क्यूँ नही लेते,
दर्द मेरे दिल का मिटा क्यूँ नही देते,
Why doesn’t the pain erase my heart?
Why don’t bihariji call me Brindavan?
Why doesn’t the pain erase my heart?
My sight keeps on looking for you,
Without you there is nothing dear life is mine,
Why don’t you come and put it to the cinema just once?
Why doesn’t the pain erase my heart?
I have heard that even sinners die after coming to your door.
May I have come, the dust of the times,
Why don’t you make me a stone of your door frame?
Why doesn’t the pain erase my heart?
Went till May by weaving the warp of the times,
Gaya bawra, your pass has become just yours,
Why don’t you even save the mouth from this world’s trap?
Why doesn’t the pain erase my heart?
Why doesn’t the pain erase my heart?
Why don’t bihariji call me Brindavan?
Why doesn’t the pain erase my heart?