दर्शन का प्यासा हु संवारे,
दर्शन देदे रे जीवन बीता जाए,
तेरा भजन करना प्रभु स्वार्थ है मेरा,
दर्शन बिना जीवन सब व्यर्थ है मेरा,
इस स्वार्थी की पुरती जल्दी से करदे रे,
जीवन बीता जाए…..
कैसे मनाऊ मैं कैसे रिजाऊ मैं,
कैसे तुम्हे बाबा अपना बनाऊ मैं,
कोई युक्ति करके संवारे मुझको अपना ले रे,
जीवन बीता जाए….
नरसी भक्त धन्ना मीरा नही हु मैं,
तेरे इन भगतो सा हीरा नही हु मैं,
कर पत्थर पर किरपा प्रभु तराश दे रे,
जीवन बीता जाए….
पपू शर्मा ही क्यों दीदार को तरसे,
तेरा प्रेमी हो कर भी उपकार को तरसे,
अब आकर अपने हाथो नैया पार लगा दे रे,
जीवन बीता जाए….
I am thirsty for darshan,
Darshan dede re life be passed,
Worshiping you Lord is my selfishness,
Without philosophy, my life is all in vain,
Get this selfish thing done quickly,
Life goes on…..
How can I persuade, how do I enjoy,
How can I make you my father?
Make me yours by doing some trick,
Life goes on….
I am not a Narsee devotee Dhanna Meera,
I am not a diamond like yours,
May the Lord carve a grit on a stone,
Life goes on….
Why did Papu Sharma yearn for Deedar?
Being your lover still longs for favor,
Now come and put the boat across your hands,
Life goes on….