दूर है न ये किनारा मेरे श्याम,
दूर है न ये किनारा ना समज आये मेरी,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,
मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम,
मन वचन और कर्म से भाव उज्जवल हो मेरे,
धर्म का निर्माण हो पाप का विनाश हो,
क्यों चलु न उसकी पथ पे जिसका कोई पथ नहीं,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी….
मैं भटक ता जा रहा हु मेरे श्याम,
इस भवर के जाल में मुझको लेकर जाएगा जब सवाली अपने साथ में,
क्यों न समजा मैं उसे जो रहता है संग में मेरी,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,
मेरे संग जो भी चले थे अब वो मेरे संग नहीं,
ज़िंदगी के रंग है भवरे अब वो पहले रंग नहीं,
क्यों न रंग लू उसके रंग में,
जिसका कोई रंग नहीं,
नाव डूबे गी मेरी भावना है क्यों मेरी,
Is not this shore my shyam,
It is far away, neither this edge nor do I understand,
The boat has sunk is my feeling why my,
my shyam my shyam my shyam,
May my feelings be bright with words and deeds,
Creation of religion, destruction of sin,
Why don’t I walk on the path of the one who has no path,
My feeling is that the boat has sunk why my…
I am going astray my shyam,
Will take me in the net of this sky when the question is with you,
Why don’t I understand him who lives with me,
The boat has sunk is my feeling why my,
Whoever walked with me is no longer with me,
The colors of life are full, now they are not the first colors,
Why not paint it in its color,
that has no color,
The boat has sunk is my feeling why my,