गंगा से गंगा जल भर के काँधे शिव की कावड धर के
भोले के दर चलो लेके कावड चलो
सावन महीने का पावन नजारा,
अद्भुत अनोखा है भोले का द्वारा
सावन की जब जब बरसे बदरियाँ
झूमे नाचे और बोले कावडिया,
रस्ता कठिन है और मुस्किल डगर है
भोले के भगतो को ना कोई डर है
राहो में जितने भी हो कांटे कंकर हर इक कंकर में दीखते है शंकर
भोले के दर चलो लेके कावड चलो
कावड तपस्या है भोले प्रभु की
ग्रंथो ने महिमा बताई कावड की
होठो पे सुमिरन हो पैरो में छाले
रोमी तपस्या फिर भी हम कर डाले
The shoulders of Shiva filled with water from the Ganges to Kavad Dhar
Let’s go for the innocent
Sacred view of the month of Sawan,
amazing unique is by naive
When it rains in Sawan
Kavadia danced and said,
The road is hard and the road is tough
The innocent people have no fear
All the thorns in the path are visible in every kankar, Shankar
Let’s go for the innocent
Kavad is the penance of the innocent Lord.
The scriptures told the glory of Kavad
Blisters on your lips
Still we did Roman penance