गुरू वो साँवरी सूरत हमें फिर कब दिखाओगे
बिरह की आग ने हमारा जलाया हैं बदन सारा
गुरू के प्रेम पानी से जलन वो कब बुझाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत हमें फिर कब दिखाओगे…
सुधि खाने व पीने की रही हमको न सोने की
प्यास दर्शन की हैं मन में गुरूजी कब दिखाओगे
गुरू वो साँवरी मूरत हमें फिर कब दिखाओगे…
फिरे दिन रैन हम रोती वो वृंदावन की कुँजन में
मनोहर बाँसुरी की धुन हमें फिर कब सुनाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत हमें फिर कब दिखाओगे…
न हमको योग से मतलब न मुक्ति की हमें चाह
वो ब्रह्मानंद सदगुरू से हमें फिर कब मिलाओगे
गुरू वो साँवरी सूरत हमें फिर कब दिखाओगे
Guru, when will you show us that beautiful Surat again?
The fire of birah has burnt our whole body
When will they extinguish jealousy with the love water of Guru
Guru when will you show us that beautiful Surat again…
We had to think about eating and drinking, not sleeping.
Thirst is for darshan, when will Guruji show you in the mind?
Guru that beautiful idol when will you show us again…
Every day we cry in the grove of Vrindavan
When will you hear us again the tune of the beautiful flute?
Guru when will you show us that beautiful Surat again…
Neither do we mean yoga nor do we want liberation.
When will he reunite us with Brahmanand Sadguru?
Guru, when will you show us that beautiful Surat again?