हे पवन के तनय वीर हनुमान जी,
कब से करता विनय आप आ जाइये ।
नाव मजधार में आज मेरी फसी,
पार आकरके उसको लगा जाइए॥
बालेपन में ही भक्षण किया सूर्य का,
तीनो लोकों में छाया अंधेरा घना ।
वीर बजरंग बाँके महावीर फिर ,
अपना बल और पराक्रम दिखा जाइये ॥
वीरता में पराक्रम में बलबुद्धि में,
भक्ति में भाव में कोई तुझसा नही ।
बस उसी भक्ति का भाव संसार को,
फिर से आके जरा सा दिखा जाइए ॥
नाम लेने से ही बस महावीर का,
दूर संकट सभी झट से हो जाते हैं ।
अम्बिका हैं शरण में ये राउर तेरे,
लाज निर्मोही की अब बचा जाइये ॥
O brave brave Hanuman ji of the wind,
Since when do you come to Vinay?
Today my boat got stuck in Mazdhar,
Come across and put it on
He ate the sun in childhood itself,
The shadow darkened in the three worlds.
Veer Bajrang Banke Mahavir again,
Show your strength and might.
In valor, in might, in wisdom,
There is no one like you in devotion.
Just the feeling of that devotion to the world,
Come again and show me a little bit.
Just by taking the name of Mahavir,
Distant crises all happen quickly.
Ambika is your refuge in this row,
The shame of Nirmohi should be saved now.