हनुमान तुम बता सकते हो कि तुम कौन हो?

सारतत्त्व को स्पष्ट करनेवाला सुन्दर वर्णन

एक बार राम ने पूछ लिया- हनुमान तुम बता सकते हो कि तुम कौन हो? यह दर्शन का कठिनतम प्रश्न है। इसके उत्तर में हनुमान ने जिस श्लोक की रचना की, महान दर्शनशास्त्री पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के अनुसार उनमें भारत तथा संसार की सभी आराधना प्रणालियों के बीज विद्यमान हैं।
🙏

हनुमान रचित वह श्लोक इस प्रकार है-

देहदृष्टया तु दासोऽहं जीव दृष्टया त्वदंशक:।

आत्मदृष्टवा त्वमेवाहमिति में निश्चिता मति:।।

इसका आशय है-

देह दृष्टि से मैं आपका दास हूं और जीवन दृष्टि से मैं आपका अंश हूं तथा परमार्थरूपी आत्मदृष्टि से देखा जाए तो जो आप हैं, वही मैं हूं- ऐसी मेरी निश्चित धारणा है।

उत्कृष्ट भक्ति के पर्याय श्री हनुमान ने कभी अपनी मुक्ति नहीं चाही। राम का यह श्रेष्ठतम आराधक हमारे हृदयों में सदैव अमर है।

मेरे राम जी से राम राम कहियो,
कहियो जी हनुमान जी.. 🙏🙏



Beautiful description that clarifies the essence

Once Ram asked- Hanuman, can you tell who you are? This is the most difficult question of philosophy. In response to this, the verse composed by Hanuman, according to the great philosopher and former President Dr. Radhakrishnan, contains the seeds of all the worship systems of India and the world.

That verse written by Hanuman is as follows-

From the body point of view I am a servant and from the living point of view I am a part of you.

I have seen myself and I am convinced that I am you.

It means-

From the physical point of view, I am your slave and from the life point of view, I am your part and if seen from the altruistic self, I am what you are – this is my firm belief.

Shri Hanuman, synonymous with excellent devotion, never wanted his salvation. This greatest worshiper of Ram is always immortal in our hearts.

Say Ram Ram to my Ram Ji, Tell me Hanuman ji.. 🙏🙏

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